शोर प्रदूषण का मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
आवाज़ हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमारे विजु़अल अनुभव को अर्थपूर्ण बनाती है। बिना आवाज़ के हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। हालांकि जिस तरह हर अच्छी चीज़ के बुरी पहलु होते हैं, आवाज़ का भी बुरा पहलु है शोर जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव उत्पन्न करता है। शोर प्रदूषण से पीड़ित लोग अपने आस-पास कुछ छोटे बदलाव लाकर अपने जीवन में बड़ा अंतर ला सकते हैं। सबसे पहले उन्हें कमज़ोरियों पर ध्यान देना चाहिए, इन कमज़ोरियों में सबसे पहले आते हैं दरवाज़े और खिड़कियां जिनके ज़रिए बाहरी शोर घर के भीतर आता है। यहां तक कि बंद दरवाज़ों से भी शोर अंदर आ सकता है। फेनेस्टा जैसे संगठन अपने दरवाज़ों और खिड़कियों को शोर यानि नाॅइस इन्सुलेटेड बनाते हैं। वास्तव में फेनेस्टा भारत का एकमात्र ब्राण्ड है जो अपने खुद के यूपीवीसी दरवाज़े और खिड़कियां बनाता है। कई रंगों मं उपलब्ध इन दरवाज़ों और खिड़कियों के रखरखाव की लागत बहुत कम होती है, ऐसे में यूपीवीसी खिड़कियों और दरवाज़ों की फ्रेमिंग के लिए पसंदीदा सामग्री बन गई है। साउण्ड इंसुलेटर होने के अलावा यूपीवीसी दरवाज़ों को बारिश, यूवी किरणों से बचाता है। ये दरवाज़े हाई इम्पैक्ट रेज़िस्टेन्स से युक्त होते हैं और रीसायकल भी किए जा सकते हैं। इस मुद्दे पर सुष्मिता नाग, मार्केटिंग हैड, फेनेस्टा ने कहा, ‘‘अनुसंधानों से साफ हो गया है कि लगातार शोर के संपर्क में रहने से हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए फेनेन्स्टा में हम हर घर को शांतिपूर्ण और शोर रहित बनाने के लिए प्रयासरत हैं। जहां एक ओर हमारी भीतरी शांति हम पर, हमारे परिवार पर निर्भर करती है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक शोर रोधी तकनीकों से हम बाहरी शोर से भी मुक्ति पा सकते हैं।’’ शोर स्वास्थ्य के लिए ऐसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकतका है, जिससे हम अनजान हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लगातार हल्के अनचाहे शोर केे संपर्क में रहने से हमारे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसके परिणाम चिंता, मूड में बदलाव, भावनात्मक अस्थिरता, सिर में दर्द, एकाग्रता में कमी, तनाव, कार्यस्थल पर कम उत्पादकता के रूप में सामने आ सकते हैं; यह गंभीर समस्याओं जैसे दिल की बीमारियों, टिनिटस, नंपुसकता, संज्ञानात्मक हानि और सुनने की क्षमता में कमी का कारण भी बन सकता है। अनुसंधानों से यह भी ज्ञात हुआ है कि शोर शरीर में तनाव का स्तर बढ़ाता है। अस्पताल में किसी उपकरण से निकलने वाली बीप साउण्ड, कार के हाॅर्न या बिग बाॅस के प्रतियोगियों का बेवजह वाद-विवाद, ये सभी तरह के शोर स्वास्थ्य के लिए हानिकर हो सकते हैं। तनावपूर्ण शोर के कारण शरीर में एड्रिनलिन की मात्रा बढ़ती है। एड्रिनलिन ओर काॅर्टिसोल जैसे हाॅर्मोनों का स्तर बढ़ने से हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर बढ़ सकते हैं। लागतार ऐसी स्थिति में बने रहना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। ‘‘साबित हो चुका है कि लम्बे समय तक अनचाहे शोर के संपर्क में रहने से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं। इससे न केवल उत्पादकता कम होती है बल्कि व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है। उसकी एकाग्रता कम होने लगती है। इसके अलावा चीज़ों को समझने, मूल्यांकन करने की क्षमता कम होने लगती है। नींद न आना और इसके कारण थकान जैसे लक्षण भी हो सकते हैं, इन सब लक्षणों के साथ व्यक्ति अपने आप को लाचार महसूस करता है।’’ डाॅ मेघा बंसल, चाइल्ड एण्ड क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट ने कहा। इसके अलावा बंसल ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति के मन की शांति पर बुरा असर पड़ता है।’’शोर का सबसे ज़्यादा असर व्यक्ति पर तब पड़ता है, जब वह सो रहा है। नींद में बाधा के कारण व्यक्ति थकान महसूस करता है, उसके सोचने-समझने की क्षमता, एकाग्रता और याददाश्त पर असर पड़ता है। कुल मिलाकर अनचाहे शोर से व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता गिर जाती है। इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपने आस-पास के डेसिबल स्तर पर ध्यान दे। अगर दरवाज़ों और खिड़कियों की मरम्मत कराना संभव न हो तो आप कुछ अन्य उपाय कर सकते हैं जैसे खिड़कियों पर भारी पर्दे लगा दें। जिस तरफ से पड़ौसी का शोर आता है, वहां भारी फर्नीचर जैसे बुककेस रख दें। खिड़कियों में अगर गैप है तो इसे अखबार, कपड़े आदि से कवर कर दें। अखबार और कपड़ा शोर के लिए इन्सुलेटर होते हैं। जिस दीवार से शोर आता है, उस तरह आप कुछ तकिए भी रख सकते हैं, ये शोर को अवशोषित करत हैं। ईयर मफ या ईयर प्लग के इस्तेमाल से आप बाहरी शोर से बच सकते हैं और अपनी एकाग्रता बढ़ा सकते हैं। रोज़ाना मनन करना मानसिक शांति के लिए फायदेमंद हो सकता है।