मुंबई की कोर्ट ने वोटर ID को माना नागरिकता का सबूत
अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम बताए गए दो लोगों को बरी करने का फैसला सुनाया
नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) पर विवाद के बीच मुंबई की एक कोर्ट ने वोटर आईडी कार्ड को नागरिकता का सबूत माना है। कोर्ट ने इस आधार पर अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम बताए गए दो लोगों को बरी करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वोटर आईडी किसी की नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है। मामले की सुनवाई मुंबई की एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हुई। मुंबई पुलिस ने अब्बास शेख और राबिया खातून को अवैध बांग्लादेशी बताया था।
‘लाइव लॉ’ की एक खबर के मुताबिक जज एएच काशीकर ने अपने फैसले में कहा है कि ‘वोटर कार्ड या मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का पर्याप्त प्रमाण है क्योंकि किसी व्यक्ति को जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रपत्र 6 के मद्देनजर संबंधित प्राधिकारी के साथ घोषणा पत्र दाखिल करना होता है। जिसमें यह घोषित किया जाता है कि वह भारत का नागरिक है और यदि घोषणा झूठी पाई जाती है तो वह व्यक्ति सजा के लिए उत्तरदायी है।’
वहीं सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दोनों आरोपी बांग्लादेशी हैं और उन्हें 2017 में राय रोड पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था। पुलिस को सुचना मिली थी कि इस एरिया में अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं। छापेमारी के बाद दोनों को भारत में अवैध तरीके से घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनके पास कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं जो यह साबित कर सके कि वह भारत के नागरिक हैं।
इस बीच जब कोर्ट ने दोनों आरोपियों की ओर से दायर दस्तावेजों को देखा तो पाया कि दस्तावेज सरकारी हैं और सरकार के ही अलग-अलग विभागों ने इन्हें जारी किया है। कोर्ट ने सबसे पुख्ता सबूत के तौर पर वोटर आईडी को माना और दोनों को बरी कर दिया।