नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकारचुनाव आयोग को मतदाता पहचान पत्र से आधार कार्ड जोड़ने की शक्ति दे सकती है। मंगलवार को हुई बैठक में चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने सहमति जताई। यह कवायद फर्जी मतदाताओं पर लगाम लगाने के लिए की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को कानून मंत्रालय और चुनाव आयोग के बीच पेड न्यूज, गलत चुनावी हलफनामे और चुनाव संसोधन जैसे मुद्दों पर बैठक हुई।

इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने कानून मंत्रालय के सचिव जी नारायण राजू के साथ आधार संख्या को मतदाता सूचि से जोड़ने पर चर्चा की।

बता दें कि चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को हाल में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इसके तहत मतदाता सूचि में शामिल लोगों और नए वोटरों से आधार नंबर मांगने का प्रावधान है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, काननू मंत्रालय ने चुनाव आयोग के प्रस्ताव से सहमति जताते हुए डेटा को कई स्तर पर सुरक्षित करने का निर्देश दिया है।

चुनाव आयोग ने पिछले वर्ष अगस्त में कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था। चुनाव आयोग ने आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने के लिए कानून अधिकार की मांग की थी।

बता दें कि आगस्त में हुई बैठके बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी आधार और वोटर आईडी को लिंक करने के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। साथ ही अन्य राजनीतिक दलों ने भी सहमति जताई थी।

पिछले साल मार्च में एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव में ‘बोगस वोटिंग’ पर रोक लगाने के लिए मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी कार्ड) को ‘आधार’ से जोड़ने के विषय पर विचार करना चुनाव आयोग के दायरे में आता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक चुनाव आयोग ने 38 करोड़ लोगों के वोटर आईडी आधार नंबर से लिंक कर चुका है। 2015 में यह काम शुरू किया गया था लेकिन बाद में कवायद को रोकना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि आधार का इस्तेमाल केवल एलपीजी, केरोसिन और राशन लेने के लिए होगा।