नई दिल्ली: खुदरा महंगाई के बाद थोक महंगाई भी उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ने का संकेत दे रही है। जनवरी में थोक महंगाई 3.1 फीसदी पर पहुंच गई जो पिछले आठ माह का उच्चतम स्तर है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण थोक महंगाई भड़की है। खुदरा महंगाई बढ़कर 7.59 फीसदी पर पहुंच गई थी जो पिछले साढ़े पांच साल का उच्चतम स्तर था।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर िपछले साल इसी महीने में 2.76 फीसदी थी। बीते दिसंबर में थोक महंगाई 2.59 फीसदी पर थी। मंत्रालय के एक बयान के अनुसार सभी वस्तुओं के लिए थोक मूल्य सूचकांक (आधार 2011-12 में 100) जनवरी में 0.1 फीसदी बढ़कर 122.9 पर पहुंच गया जबकि पिछले महीने यह आंकड़ा 122.8 पर था। बिल्डअप महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में अब तक 2.5 फीसदी रही जबकि पिछले साल समान अवधि में 2.49 फीसदी थी।

मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों का सूचकांक इस दौरान 0.4 फीसदी बढ़ गया। इसका सूचकांक 118 से बढ़कर 118.5 फीसदी पर पहुंच गया। थोक मूल्य सूचकांक में इन उत्पादों का वेटेज 64.23 फीसदी है। जनवरी में खाद्य महंगाई 10.12 फीसदी रही जबकि दिसंबर में 11.05 फीसदी थी। प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई 11.46 फीसदी से घटकर 10.01 फीसदी रह गई। जबकि मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की महंगाई 0.34 फीसदी रही जबकि दिसंबर में इसके मूल्य में 0.25 फीसदी की गिरावट आई थी।

पिछले दिनों जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में खुदरा महंगाई बढ़कर 7.59 फीसदी हो गई जो साढ़े पांच साल का उच्चतम स्त था। फुटकर महंगाई में बढ़ोतरी खासतौर पर खाद्य वस्तुओं की तेजी से आई थी। खाद्य वस्तुओं की मंहगाई 13.63 फीसदी बड़कर 14.12 फीसदी हो गई।

भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी महीने के शुरू हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट 5.15 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था। देश में महंगाई की दर बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं जबकि आर्थिक विकास दर सुस्त है। आरबीआइ ने महंगाई का अनुमान भी बढ़ाया था। उसका अनुमान है कि महंगाई अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 5-5.4 फीसदी के बीच रहेगी।