सत्ता में आने पर भदोही ज़िले का नाम फिर से संत रविदास नगर रखा जायेगा: मायावती
लखनऊ: सर्वसमाज को ’’मन चंगा तो कठौती में गंगा’’ का आदर्श व मानवतावादी अमर संदेश देने वाले महान संतगुरु संत रविदास जी की जयन्ती के मौके़ पर उन्हें शत्-शत् नमन व आमजनता व ख़ासकर उनके करोड़ों अनुयाईयों को बधाई देते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती ने आज यहाँ कहा कि सामाजिक परिवर्तन के संतों में जाने-माने संतगुरु संत रविदास जी ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा और इस क्रम में ख़ासकर जाति भेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे।
उनका संदेश धर्म को तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सेवा व जनचेतना के लिए प्रयोग करने का ही था जिसे वर्तमान में खासकर शासक वर्ग द्वारा भुला दिया गया है और जिस कारण ही समाज व देश में हर प्रकार का तनाव व हिंसा लगातार बढ़ती ही जा रही है, जो अति-दुःख व चिन्ता की बात है।
संत रविदास जयन्ती पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि आज के संकीर्ण व जातिवादी दौर में उनके मानवतावादी संदेश की बहुत ही ज़्यादा अहमियत है और मन को हर लिहाज़ से वाकई चंगा करने की ज़रूरत है।
संत रविदास जी, वाराणसी में छोटी समझी जाने वाली जाति में जन्म लेने के बावजूद भी प्रभु-भक्ति के बल पर ब्रम्हाकार हुये। एक प्रबल समाज सुधारक के तौर पर वे आजीवन कड़ा संघर्ष करके हिन्दू समाज की कुरीतियों के ख़िलाफ व उसमें सुधार लाने का पुरज़ोर कोशिश करते रहे थे।
संत रविदास जी जाति-भेदभाव पर कड़ा प्रहार करते हुये कहते हैं कि देश की एकता, अखण्डता, शान्ति, संगठन एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये जाति रोग का समूल नष्ट होना आवश्यक है। मानव जाति एक है। इसलिये सभी प्राणियों को समान समझकर प्रेम करना चाहिये। यही कारण है कि मीराबाई तथा महारानी झाली ने संत रविदास को अपना गुरु स्वीकार किया। उनका मानना था कि जाति-पांति व मानवता के समग्र विकास में बड़ा बाधक है। वे कहते हैं कि: ’’जाति-पांति के फेर में, उलझि रहे सब लोग। मानुषता को खात है, रैदास जात का रोग’’
मायावती ने कहा कि केवल अपने कर्म के बल पर महान संतगुरु बनने वाले संत रविदास जी ने सामाजिक परिवर्तन व मानवता के मूल्यों को अपनाने व उसके विकास के लिये लोगों में जो अलख जगाया, उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। यही कारण है कि आज हर जगह बड़ी संख्या में उनके अनुयायी मौजूद हैं।
ऐसे महान संतगुरू के आदर-सम्मान में व उनकी स्मृति को बनाये रखने के लिये बी.एस.पी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में जो कार्य किया उनमें संत रविदास जी के नाम पर भदोही ज़िले का नामकरण, संत रविदास की जन्म नगरी वाराणसी में संत रविदास पार्क व घाट की स्थापना, फैज़ाबाद में संतगुरू रविदास राजकीय महाविद्यालय का निर्माण, वाराणसी में ही संत रविदास जी की प्रतिमा की स्थापना, संत रविदास सम्मान पुस्कार की स्थापना आदि प्रमुख हैं।
इसके साथ ही, संत रविदास पालीटेक्निक, चन्दौली की स्थापना, संत रविदास एस.सी./एस.टी. प्रशिक्षण संस्थान, वाराणसी में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का नाम संत रविदास के नाम पर करने तथा बदायूँ में संत रविदास धर्मशाला हेतु सहायता, बिल्सी में संत रविदास की प्रतिमा स्थापना की स्वीकृति आदि। इसके अलावा भी और कई कार्य महान संतगुरु के आदर-सम्मान में बी.एस.पी. की सरकार के दौरान किये गये।
उन्होंने कहा कि बी.एस.पी. के सत्ता में आने पर भदोही ज़िले का नाम फिर से संत रविदास नगर रखा जायेगा, जिसे जातिवादी मानसिकता के तहत ही पिछली सपा सरकार ने बदल दिया है।