नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वे कर दिया है. जिसमें साल 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 6 से 6.5 फीसदी आंका गया है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है. साथ ही आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिये चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटा लक्ष्य में ढील देनी पड़ सकती है.वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक सर्वे लोकसभा में पेश किया। आज से ही शुरू हुए बजट सत्र के दौरान केंद्रीय आम बजट कल एक फरवरी को पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए रोजकोषीय घाटे के लक्ष्य में ढिलाई बरतने की आवश्यकता है ताकि विकास दर को रफ्तार दी जा सके। उन्होंने कहा कि अगले एक अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में विकास दर 6-6.5 फीसदी के बीच रहने की संभावना है।

सर्वे में कहा गया है कि आर्थिक विकास दर की सुस्ती का दौर खत्म हो रहा है.जीडीपी विकास दर में सुस्ती विकास दर के चक्र का हिस्सा है. सरकार को अगले वित्त वर्ष में विकास दर तेज करने के लिए आर्थिक सुधारों पर तेजी से काम करना होगा।

सर्वे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में गवर्नेंस सुधार पर जोर दिया गया है और ज्यादा सूचनाएं सार्वजनिक करने की बात कही गई है. इसमें बैंकिंग सेक्टर की समस्या पर विस्तार से चर्चा की है. सर्वे में बाजार और अर्थव्यवस्था की सहूलियत के लिए दस नए आइडियाज पर काम करने पर जोर दिया है.

सर्वे के अनुसार प्याज जैसी खाद्य वस्तुओं के मूल्य में स्थिरता लाने के लिए सरकारी हस्तक्षेप अप्रभावी प्रतीत होते हैं. दो वॉल्यूम वाले आर्थिक सर्वे की प्रतियां इस साल बैंगनी रंग में छापी गई हैं। देश में प्रचलित 100 रुपये का करेंसी नोट इसी रंग का है.

आर्थिक सर्वेक्षण चूंकि देश की आर्थिक स्थिति का आईना होता है, इसलिए इसके जरिए आगामी बजट में किन क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा, इसकी एक झलक मिल जाती है. हालांकि, यहां बता दें कि यह सर्वे केवल सिफारिशें हैं और इन्हें लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है. सरकार इन्हें केवल निर्देशात्मक रूप से लेती है. आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारों की टीम तैयार करती है. इस बार यह जिम्मेदारी मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम और उनकी टीम के पास थी.