राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगेः अजय कुमार लल्लू
लखनऊ: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 72वीं पुण्यतिथि पर आज यहां प्रदेश कांगे्रस मुख्यालय में दो मिनट मौन रहकर सबसे पहले गांधी जी की पुण्य स्मृति को नमन किया गया तदुपरान्त गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
इसके उपरान्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की अध्यक्षता में ‘‘आज का भारत और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचार’’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का संचालन श्री बृजेन्द्र कुमार सिंह ने किया।
संगोष्ठी में अध्यक्षीय सम्बोधन में अजय कुमार लल्लू ने गांधी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी आज के ही दिन 30 जनवरी 1948 को सरीर छोड़कर चले गये लेकिन वह हमेशा जिन्दा थे और जिन्दा रहेंगे। वह जिन्दा हैं हममें, आपमे, कंाग्रेस में और हमारे विचारों में। वह अपने युग के महामानव थे। यही कारण है कि समूची दुनिया उन्हें सत्य, अहिंसा और लोकतंत्र के पुजारी के रूप में पूजती और स्वीकार करती है। वह समाज के सभी वर्गों के समानता के हिमायती रहे। उनकी सोच पर आधारित बना संविधान ही हम सबको न्याय के समक्ष बराबरी का अधिकार देता है और उनके बताये गये तीन अमूल्य हथियार सत्याग्रह-अर्थात सत्य के प्रति आग्रह, जो आजादी के आन्दोलन के दौरान सुदूर पिछड़े क्षेत्र के किसानों को जो नील की खेती से तबाही और बर्बादी के दौर में थे अपने साथ खड़ा पाता है और उस अंग्रेजी हुकूमत का सत्य के प्रति आग्रह के मजबूत हथियार से गांधी जी ने न केवल उन बर्बाद किसानों को बचाकर जीवनदान दिया अपितु तानाशाही हुकूमत को झुकने के लिए विवश किया। दूसरा सबसे बड़ा हथियार सविनय अवज्ञा-अर्थात विनय पूर्वक सरकार के गलत कानून को मानने से इंकार कर देना, जो रौलट एक्ट और नमक कानून के खिलाफ गांधी जी द्वारा प्रयोग किया गया। तीसरा सबसे बड़ा हथियार कि जब सरकार पूरी तरीके से निरंकुश हो जाए, सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा निष्प्रभावी साबित हो, तब महान जनता से करो या मरो का आवाहन, जो वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान प्रयोग में लाया गया और अंग्रेजी हुकूमत का अन्त हो गया। आज भी सत्य, अहिंसा के रास्ते पर चलकर बड़ी से बड़ी लड़ाई जीतने का पूरी दुनिया का सबसे बड़ा हथियार है यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयन्ती (02अक्टूबर) को सत्य और अहिंसा दिवस के रूप में पूरी दुनिया में मनाता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि गांधी जी अछूतोद्धार की बात करते हैं वह भारत में निवास करने वाले अंतिम आदमी के चेहरे पर मुस्कार देखना चाहते हैं। वह ग्राम स्वराज की बात करते हैं और कहते हैं कि असली भारत तो गांव में रहता है यही कारण रहा कि पं0 जवाहर लाल नेहरू से लेकर डा0 मनमोहन सिंह तक कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्री और सरकारों ने गांधीवादी मूल्यों पर चलकर भारत को मजबूत किया और उनके ग्राम स्वराज के सपने को अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान की परिकल्पना को साकार करने का काम किया। पंचायतों, स्थानीय निकायों को आर्थिक अधिकार देकर समाज के हर वर्ग अनु0जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को पंचायत से लेकर संसद तक आरक्षण सुनिश्चित करके उनकी भागीदारी तय की। वहीं सरकारी विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन, वंचित, शोषित और गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति, उच्च शिक्षा एवं व्यवसायिक परीक्षाओं की तैयारी हेतु निःशुल्क कोचिंग, महात्मा गांधी रेाजगार गारंटी कानून, भोजन का अधिकार, वन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि तमाम कानून बनाकर कांग्रेस की सरकारों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को मूर्त रूप देने के लिए ऐतिहासिक कार्य किये।
अन्त में प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष ने कहा कि आज जब समूचा देश सरकार के संविधान विरोधी और जनविरोधी कानून से उद्वेलित है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सविनय अवज्ञा के हथियार से आन्दोलन कर रहा है तो सरकार को चाहिए कि उन लोगों से संवाद स्थापित करे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के प्रति सम्पूर्ण दुनिया जिस कृतज्ञ भाव से उन्हें याद कर रहा है उनके मूल्यों को याद कर रहा है, उससे पे्ररणा लेकर देश में लागू किए गए असंवैधानिक कानून(सीएए-एनआरसी) को वापस ले। यही आज के दिन गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए बाराबंकी से पूर्व लोकसभा प्रत्याशी तनुज पुनिया ने कहा कि गांधी जी की सामाजिक समरसता और अछूतोद्धार के प्रयास से ही अखण्ड भारत का निर्माण हुआ। क्येांकि वह समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति केा मजबूत देखना चाहते थे उसके चेहरे पर खुशहाली देखना चाहते थे।
उ0प्र0 कांग्रेस खेलकूद प्रकोष्ठ के चेयरमैन अरशी रजा ने गांधी जी के सबको सुनने और सबको साथ लेकर चलने के विचार को आजादी के बाद सबसे भरोसे एवं भावना के साथ स्वीकार करने को देश की एकता का आधार बताया। उन्होने कहा कि यही कारण है कि भारत का लोकतंत्र गांधी जी के मूल्यों से दिन-प्रतिदिन और अधिक मजबूत होकर निखर रहा है।