इस्लाम में मर्द और औरत के अमल की जज़ा और सज़ा में कोई फर्क नही है: मौलान हमीदुल हसन
लखनऊ: पैग़म्बर हज़र मोहम्मद स0अ0 की इकलोती बेटी हज़रत फातिमा ज़ेहरा स0अ0 की शहादते के मौके़ पर के आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनाई के दिल्ली स्थित कार्यालय की और से इमामबाडा सिबतैनाबाद हज़रत गंज मै दो रोज़ा मजलिसों का आयोजन हुआ।मजलिस से पहले कारी मासुम मेहदी ने कुरान की तिलावत की,उसके बाद शायरों ने अपना कलाम पेश किया।
पहली मजलिस को मौलाना सैयद हमीदउल-हसन तकवी ने अपने बयान में इस्लाम में औरत के अधिकारों और उसकी अज़मत के बारे में लोगों को अगाह किया।मौलान ने कहा कि इस्लाम ने मर्द और औरत के अधिकारों में ज़रूर फर्क रखा है मगर उनके अमल की जज़ा औस सज़ा में काई फर्क नही रखा।कुरआन में अल्लाह ने जिस शान और अंदाज से मर्द को खिताब किया है उसी शान और अंदाज से औरत को भी खिताब किया है।मौलाना ने कहा कि पैग़म्बर हज़रत मौहम्मद स0अ0 कभी किसी मर्द की ताज़ीम में खडे नही हुए मगर अपनी बेटी की ताज़ीम में खडे हो जाते थे,यह इस्लाम में एक औरत का ही मुकाम है।मौलान ने मजलिस के आखिर में हज़रत फातिमा स0अ0 की शहादत और उनकी मुसीबत को बयान किया ।
मजलिस में विशेष रूप से मौलाना फरीद-उल-हसन प्रिंसिपल जामिया नज़्मिया, मौलाना ज़हीर अब्बास, जामिया नज़्मिया के अन्य उस्ताद और छात्र भी मजलिस में उपस्थित रहे। मौलाना अहमद रज़ा ने मजलिस का संचालान किया।यह मजलिसें कार्यालय मजलिसे ओलमाए हिंद के द्वारा आयोजित की जा रही है।