गुजरात दंगे के 17 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सरदारपुरा और औध दंगे मामले में 17 दोषियों को सशर्त जमानत दे दी। इन 17 दोषियों को पहले आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के साथ शर्तें भी लगाई हैं, जिसके मुताबिक ये 17 दोषी अभी गुजरात नहीं जा सकेंगे। जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक उन लोगों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आखिरी फैसला न कर लें, तब तक वे इंदौर और जबलपुर में ही रहेंगे। अदालत की ओर से तय की गई अन्य शर्तों में सामाजिक काम और धार्मिक काम भी शामिल हैं।
दरअसल, दोषियों को दो अलग-अलग बैच में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रहने के दौरान सामाजिक और धार्मिक काम का आदेश दिया। अदालत ने एक बैच को इंदौर और एक बैच को जबलपुर भेजा है। इंदौर और जबलपुर में विधिक अधिकारियों से कोर्ट ने कहा है कि जमानत के दौरान वो दोषियों द्वारा आध्यात्मिक और सामाजिक कार्य करने को सुनिश्चित करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों से उन्हें आजीविका के लिए काम करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को अनुपालन रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है। साथ ही जमानत के दौरान उनके आचरण पर भी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
बता दें कि ये मामला सदरपुरा गांव में 33 मुस्लिमों को जिंदा जलाए जाने से जुड़ा है। इनमें अधिकतर बच्चे और महिलाएं शामिल थीं। गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में एक समुदाय की भीड़ ने आग लगा दी थी, जिसमें 59 कारसेवक जलकर मर गए थे। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगा भड़क उठा था।
सरदारपुरा केस में 76 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें दो की ट्रायल के दौरान मौत हो गई जबकि एक नाबालिग था। इसके बाद 73 आरोपियों का ट्रायल शुरू हुआ था। निचली अदालत ने इस मामले में 42 को आरोपों से बरी कर दिया था, जबकि 31 दोषी पाए गए थे। इसके बाद एसआईटी ने 42 में से 31 के बरी किए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
एसआईटी कोर्ट ने सरदारपुरा और आसपास के गांवों के 73 लोगों के खिलाफ तीन साल की सुनवाई के बाद मामले में कुल 31 आरोपियों को दोषी ठहराया था। हालांकि, अपील पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 14 को आरोपों से बरी कर दिया था। 2016 में, गुजरात हाईकोर्ट ने सरदारपुरा नरसंहार मामले में 17 दोषियों की सजा को बरकरार रखा था।
इन्हीं 17 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील पेंडिंग होने का हवाला देकर जमानत मांगी थी। हाईकोर्ट के उम्रकैद के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। उनका केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वो लंबे वक्त से जेल में हैं। उनके गुजरात जाने पर रोक भी लगाई है।