29 फरवरी को लखनऊ में होगा लोकतंत्र बचाओ सम्मेलन
मार्च में प्रदेशभर में होगी आमसभाएं, रैलियां और जनसम्पर्क
लखनऊ: योगी सरकार ने पूरे प्रदेश को जेलखाने में तब्दील कर
दिया है और पूरे प्रदेश में पुलिस राज चल रहा है।
धारा 144 लगाकर धरना, प्रदर्शन, सम्मेलन व आमसभाए जैसी सामान्य
लोकतांत्रिक कार्यवाही तक नहीं करने दी जा रही है। आम
नागरिकों का पुलिस व प्रशासन द्वारा उत्पीड़न और फर्जी मुठभेड़ आम बात हो
गयी है। मुख्यमंत्री खुद ‘बदला लो‘ और ‘ठोक दो‘ जैसी
असंवैधानिक शब्दावली का इस्तेमाल कर लोगों के उत्पीड़न के लिए उकसा रहे
है। हालत इतनी बुरी है कि महज सोशल मीडिया पर
लिखने पर दो सौ से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज की गयी और सौ के करीब
लोगों को गिरफ्तार किया गया। जो भी सरकार की
जन विरोधी लोकतंत्र विरोधी नीतियों का विरोध कर रहा है उसे राजनीतिक बदले
की भवना से गिरफ्तार किया जा रहा है, थानों में थर्ड
डीग्री का टार्चर किया जा रहा है और लाखों रूपए की जमानत देने की बात
प्रशासन कर रहा है। नागरिकता कानून का विरोध करने वालों
की सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुई है। इसलिए प्रदेश में पुलिस राज
खत्म कर कानून का राज स्थापित करने के लिए जरूरी है कि
मुख्यमंत्री योगी इस्तीफा दें। 23 जनवरी को प्रदेश के विभिन्न
लोकतांत्रिक संगठनों और व्यक्तियों ने फैसला लिया है कि वे ‘योगी
सरकार हटाओ-लोकतंत्र बचाओ’ अभियान पूरे प्रदेश में चलायेंगे। जिसके तहत
29 फरवरी को लखनऊ में राज्यस्तरीय सम्मेलन करने और
मार्च माह में जन संवाद के लिए आमसभाएं, सम्मेलन, पदयात्रा, जन सम्पर्क
होगा। यह घोषणा आज नरही स्थित लोहिया भवन में
आयोजित पत्रकार वार्ता में अभियान के संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह
स्वराज अभियान सहित अभियान के अध्यक्ष आइपीएफ प्रवक्ता
पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी, पूर्व सांसद इलियास आजमी और रिहाई मंच के
अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ने की।
नेताओं ने बताया कि इस अभियान में संशोधित नागरिकता कानून, नागरिकता
रजिस्टर और जनसंख्या रजिस्टर बनाने की केन्द्र
सरकार की कार्यवाही को वापस लेने, जेल में बंद आंदोलनकारी निर्दोष
नागरिकों को रिहा करने, उन पर दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस
लेने, प्रदेश में रासुका, गुण्डा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट जैसे काले कानूनों
को हटाने व पूरे प्रदेश मंे लगी धारा 144 को खत्म करने और
प्रदेश में हुई हिंसा की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करने और दोषी लोगों को
दण्ड देने, भूमि आयोग का गठन, गन्ना किसानों के बकाए
के तत्काल भुगतान, हर परिवार से एक आदमी को नौकरी और नौकरी न मिलने तक
नौजवानों को बेकारी भत्ता, प्रदेश में खाली पड़े
पदों को भरने, मनरेगा का विस्तार शहर तक करने और 200 दिन काम की गारंटी,
किसानों की कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की
संस्तुति के अनुरूप किसानों की उपज की सी-2 लागत में 50 फीसदी जोड़ कर
सरकारी खरीद और उसका समयबद्ध भुगतान करने, बढ़
रही महंगाई पर रोक, शिक्षा व स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाने, महिलाओं समेत आम
नागरिकों की सुरक्षा तथा राजनीतिक विरोध व्यक्त करने
के अधिकार की बहाली जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।