नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज किए जाने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को सोमवार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। यह जनहित याचिका ‘इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी’ की ओर से जारी की गई है।

चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस बी. आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की एक पीठ ने राज्य को नोटिस जारी किया। केन्द्र सरकार ने पिछले साल 1 जनवरी को इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज करने की मंजूरी दी थी।

सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि बोर्ड ने दस्तावेजों का शोध करने पर पाया कि देश में 14 प्रयाग थे लेकिन यहां जो प्रयाग था उसे प्रयागों के राजा के रूप में जाना जाता था। बाद में उसका नाम बदल कर इलाहाबाद कर दिया गया। इस बात का भ्रम है कि इस स्थान का नाम हमेशा से ही इलाहाबाद था।

इसलिए राजस्व बोर्ड ने सुझाव दिया था कि इस भ्रम को दूर करने के लिए, यह तर्कसंगत होगा कि इसका मौजूदा नाम को वास्तविक नाम से बदल दिया जाए। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम बदलने के संकेत देते हुए सिंह ने कहा, कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालय, संस्थानों के नाम भी इलाहाबाद के नाम पर है…इस नाम से हाईकोर्ट, रेलवे स्टेशन है। इस संबंध में इस संबंध में प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

राज्य सरकार के इस फैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना की थी। इसे पहले कांग्रेस ने कहा था कि सरकार का यह कदम इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने जैसा होगा। वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख ने ट्वीट कर कहा था कि भाजपा सरकार नाम बदलकर दिखाना चाहती हैं कि वह काम कर रही है। वहीं तत्कालीन उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर ने कहा था कि भाजपा को इस तरह की तेजी गंगा की सफाई को लेकर दिखानी चाहिए।