जेएनयू कैंपस में हिंसा के दौरान VC ने पुलिस को अंदर आने से किया था मना!
नई दिल्ली: रविवार शाम को 6.24 बजे का वक्त था। जब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पेरियार हॉस्टल में हिंसा हो चुकी थी। साबरमती ढाबे पर फैकल्टी पर हमला हो चुका था। उस वक्त जेएनयू के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने डीसीपी (साउथ वेस्ट), एसीपी और वसंत कुंज (नॉर्थ) के एसएचओ को एक वाट्सएप मैसेज किया। लेकिन इस संदेश में नकाबपोशों को रोकने के निवेदन की बजाए पुलिस को लिखा गया था- जेएनयू के गेट पर जमा रहिए। ये जानकारी इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में प्रकाशित की है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वीसी ने वाट्सएप पर लिखा, 'जेएनयू कैंपस के बिगड़े हालात को देखते हुए, मैं निवदेन करता हूं कि पुलिस जेएनयू कैंपस के गेट पर जमा हो जाए जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में शीघ्र घटना स्थल पर पहुंचा जा सके।' यह मैसेज अब जांच का हिस्सा है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने जेसीपी (वेस्टर्न रेंज) शालिनी सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है जो घटना की कड़ियों और पुलिस की लापरवाही की जांच कर रही है। इस कमेटी की रिपोर्ट को आने वाले दिनों में गृह मंत्रालय को सौंपा जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक अन्य पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक कैंपस में सबसे पहले 2.30 बजे नकाबपोश देखे गए थे। इसके बाद 6 शाम 6 बजे तक पुलिस कंट्रोल रूम को 23 कॉल की गई। वीसी के वाट्सएप मैसेज के बाद विश्वविद्यालय और पुलिस के बीच 7.45 बजे अगला संवाद हुआ जब रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने पुलिस को कैंपस में घुसने का ऑफिशियल लेटर दिया।
मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए वीसी ने कहा था कि अगर कैंपस में कानून व्यवस्था की समस्या होती है तो हम फौरन पुलिस के पास नहीं जाते। हम नहीं चाहते कि कोई निर्दोष घायल हो। यही हमने रविवार को घटना में भी किया।
आपको बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) कैंपस में रविवार की शाम को नकाबधारी गुंडों ने जमकर मार पीट की। इस हमले में लगभग 36 छात्र-छात्राएं और शिक्षक घायल हो गए हैं। हालात को संभालने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को दिल्ली पुलिस की मदद लेनी पड़ी। विश्वविद्यालय प्रशासन के आग्रह पर दिल्ली पुलिस ने कैंपस में प्रवेश किया और देर रात फ्लैगमार्च किया।