जेल से रिहा हुए पूर्व आईपीएस दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जाफर
लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कांग्रेस नेता सदफ जाफर और पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी मंगलवार सुबह जेल से रिहा हो गए। इससे पहले 4 जनवरी को सदफ जफर व एसआर दारापुरी सहित कई लोगों को जमानत मिल गई थी। इन सभी लोगों को लखनऊ में हुए प्रदर्शन व हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इनके जेल से रिहा होने के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया है।
जेल से रिहा होने के बाद कांग्रेस नेता सदफ जाफर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला। जेल से निकलने के बाद सदफ जाफर ने कहा कि जेल जाने और पिटने का डर अब दूर हो गया है, इसके लिए मैं योगी आदित्यनाथ जी को धन्यवाद देती हूं। अब तो मैं तब तक प्रदर्शन करुंगी जब तक यह अमानवीय कानून वापस नहीं लिया जाता।
बता दें कि सदफ जाफर की गिरफ्तारी काफी सुर्खियों में रहीं थी। उनके गिरफ्तार होने के बाद प्रियंका गांधी भी उनके बचाव में उतरी थीं और उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं। इसके बाद प्रियंका गांधी ने उनके गोखले मार्ग स्थित आवास पर कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता सदफ जफर के बच्चों एवं उनकी बहन ने मुलाकात की थी। प्रियंका ने ट्वीट करके कहा था कि सदफ के दोनों बच्चे अपनी मां की रिहाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
सदफ जाफर, दारापुरी की रिहाई पर प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार ने बेगुनाहों को गिरफ्तार किया था। यह तो साबित हो गया है कि झूठ कभी नहीं जीत सकता। पूर्व आईपीएस अधिकारी दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जाफर के जेल से रिहा होने पर प्रियंका गांधी ने कहा कि कोर्ट के सबूत मांगने पर यूपी पुलिस बगलें झांकने लगी थी। भाजपा सरकार ने निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करके अपनी असली सोच दिखाई है। मगर झूठ कभी नहीं जीत सकता।
मंगलवार को इनकी रिहाई को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि अंबेडकरवादी चिंतक और पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जाफर आज जेल से रिहा हो गए। भाजपा सरकार ने निर्दोष लोगों और बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने वाले लोगों को गिरफ्तार करके अपनी असली सोच दिखाई है।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हो गया था। इस दौरान लखनऊ में भी उग्र प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शन को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर और पूर्व आईपीएस दारापुरी को गिरफ्तार कर लिया। यूपी पुलिस ने दोनों पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया था। कोर्ट में यूपी पुलिस ने अपने दावों को साबित नहीं कर पायी।