JNU हिंसा: आइशी घोष ने कहा, RSS और एबीवीपी के गुंडों ने किया हमला
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने सोमवार को आरोप लगाया कि परिसर पर हुआ हमला संगठित था। हमले में घोष भी घायल हुई हैं। घोष ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह संगठित हमला था। वे लोगों को छांट-छांट कर उन पर हमला कर रहे थे।
जेएनयू सुरक्षा और तोड़फोड़ करने वालों के बीच पक्का कोई साठगांठ थी। उन्होंने हिंसा रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले चार-पांच दिन से आरएसएस से जुड़े कुछ प्रोफेसर हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे ताकि हमारे आंदोलन को तोड़ा जा सके। क्या जेएनयू और दिल्ली पुलिस से सुरक्षा मांग कर हम कोई गलती कर रहे हैं?’’
हम हमले की निंदा करते हैं। हम चाहते हैं कि त्वरित प्रभाव से वीसी को हटाया जाए। कल हुआ हमला RSS और एबीवीपी के गुंडों द्वारा किया गया था। पिछले 4-5 दिनों में आरएसएस और एबीवीपी से संबद्ध प्रफेसरों द्वारा हिंसा को प्रमोट किया गया।
कुछ समय पहले ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा में घायल हुई जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष को सोमवार को यहां एम्स से छुट्टी दे दी गई। रविवार को परिसर में हुई हिंसा में घोष को सिर में चोट लगी थी। जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि आरएसएस से जुड़े एबीवीपी के सदस्यों ने उनपर पत्थर और छड़ से हमला किया।
पश्चिम बंगाल के यादवपुर और प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालयों के छात्रों ने रविवार को नयी दिल्ली में जेएनयू परिसर में हुए हमले के विरोध में सोमवार को सड़कों पर रैलियां निकालीं। आइसा और एसएफआई ने विश्वविद्यालय परिसर से पास स्थित 8बी बस स्टैंड तक प्रदर्शन मार्च निकाला और केन्द्र की भाजपा सरकार तथा आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के खिलाफ नारेबाजी की।
उनके हाथों में पोस्टर और प्लेकार्ड थे जिनमें जेएनयू हमला की निंदा की गई और घटना में शामिल लोगों के तुरंत गिरफ्तारी की मांग की गई। जेएनयू परिसर में रविवार रात उस वक्त हिंसा भड़क उठी थी, जब लाठियों और सरियों से लैस कुछ नकाबपोशों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था, जिसके बाद प्रशासन ने पुलिस बुलायी। पुलिस ने वहां फ्लैग मार्च किया। इस हमले में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आयशी घोष सहित कम से कम 28 लोग घायल हुए हैं।
यादवपुर विश्वविद्यालय के एक छात्र का कहना है, ‘‘जेएनयू परिसर में जो हुआ, उस कारण कल (रविवार) भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन था। गुंड़ों का छात्रों और शिक्षकों को मारना, अभाविप के कार्यकर्ताओं द्वारा लड़कियों के छात्रावास पर हमले ने हमारे लोकतंत्र को शर्मसार किया है।’’ उसने कहा, ‘‘लेकिन ऐसे हमले फासीवादी बलों के खिलाफ हमारी लड़ाई को रोक नहीं सकेंगे।’’
19 सितंबर को यादवपुर विश्वविद्यालय में हुई तोड़फोड़ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह अभाविप कार्यकर्ताओं ने सितंबर में परिसर में और कल (रविवार को) जेएनयू परिसर में तोड़फोड़ की है, वह भाजपा और संघ परिवार की फासीवादी मानसिकता को दिखाता है।’’
प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू के छात्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कॉलेज स्ट्रीट पर रैली निकाली। विश्वविद्यालय के एक छात्र ने कहा, ‘‘हम स्वतंत्र और उदारवादी सोच के जनक जेएनयू परिसर के भीतर हमले की निंदा करते हैं।
अभाविप और भाजपा स्वतंत्र विचारों के पर कतरना चाहती हैं और हमारे ऊपर फासीवादी सोच थोपना चाहती हैं। लेकिन हम अंतिम सांस तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।’’ कांग्रेस के छात्र संघ ‘छात्र परिषद’ ने कॉलेज स्ट्रीट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतले फूंके।