तेहरान में भारतीय दूतावास के सामने CAA, NRC के ख़िलाफ़ प्रदर्शन
तेहरान: भारत में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ जहां देश भर में जन आंदोलन जारी है, वहीं दुनिया भर में भारतीय समुदाय भी इसके ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने में पीछे नहीं है।
ईरान के शहर क़ुम में पढ़ने वाले भारत के छात्रों ने गुरुवार की सुबह तेहरान स्थित भारतीय दूतावास के सामने CAA और NRC के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और पुलिस की बर्बरता का शिकार होने वाले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के साथ हमदर्दी जताई।
प्रदर्शनकारी भारतीय छात्रों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ पुलिसिया कार्यवाही की निंदा करते हुए गिरफ़्तार किए गए छात्रों और निर्दोष प्रदर्शनकारियों की तुरंत रिहाई की मांग की।
प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ प्रदर्शन में शामिल छोटे छोटे बच्चों ने भी अपने हाथों में ऐसे प्लेकार्ड उठा रखे थे, जिन पर हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थन और CAA-NRC के ख़िलाफ़ नारे लिखे हुए थे।
ग़ौरतलब है कि धर्म के आधार पर नागरिकता वाले क़ानून के ख़िलाफ़, जिसे लोग काला क़ानून कह रहे हैं, देशव्यापी आंदोलन अब विश्वव्यापी रूप लेता जा रहा है और विश्व में जहां जहां भी भारतीय हैं वह इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। ख़ास तौर से भारत की तरह विश्व भर में छात्र इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।
प्रदर्शन में शामिल छात्रों का कहना था कि इस कड़ाके की सर्दी में 150 से ज़्यादा किलोमीटर की दूरी तय करके हम भारत सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने आए हैं कि भारतीय संविधान की रूह और देश के लोकतांत्रित ताने-बाने के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जिसके लिए हमारे बुज़ुर्गों ने बड़ी क़ुर्बानियां दी हैं।
एक ओर मोदी सरकार विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस बल प्रयोग कर रही रही है और नागरिकता के नए क़ानून के प्रति लोगों को जागरुक करने का अभियान चलाने का दावा कर रही है, वहीं छात्रों और विद्वानों का मानना है कि सरकार जागरुक करने के बजाए भ्रम फैलाना चाहती है और इसके लिए वह हर तरह के झूठ का सहारा ले रही है।
उनका कहना है कि जागरुकता फैलाने का दावा केवल एक छलावा है, इसलिए कि किसी भी समाज का सबसे जागरुक वर्ग उसके छात्र और विद्वान ही होते हैं और यह सरकार इस वर्ग के साथ आतंकवादियों से भी बुरा बर्ताव कर रही है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने तेहरान स्थित भारतीय मिशन को CAA और NRC के ख़िलाफ़ एक मेमोरंडम भी सौंपा और यह एलान किया कि अगर सरकार ने इस क़ानून को वापस नहीं लिया तो वह देश की जनता की आवाज़ से आवाज़ मिलाकर अगला विशाल प्रदर्शन तेहरान स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय के सामने आयोजित करेंगे और धरने पर बैठकर उस वक़्त तक नहीं उठेंगे, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी।