भाकपा (माले) ने मुख्यमंत्री योगी से माँगा इस्तीफ़ा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए आतंक, दमन व भय का माहौल कायम किया है. सरकार ने लोकतांत्रिक शक्तियों एवं अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध चौतरफा हमला बोल दिया है.
यह बात भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने मंगलवार को यहां कही। वे पत्र प्रतिनिधयों से सीएए-विरोधी आंदोलन और उससे प्रति सरकार के रुख को लेकर बात कर रहे थे. कहा कि यूपी पुलिस के मुखिया ने गलतबयानी की कि प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने एक भी गोली नहीं चलायी, जबकि प्रदेश में अभी तक 20 से ज्यादा लोग पुलिस की हिंसा में मारे जा चुके हैं. भाकपा (माले) की केन्द्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड मनीष शर्मा के साथ दर्जनों लोगों को बनारस में संगीन धारायें लगाकर जेल में डाल दिया गया है. लखनऊ में रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट शोएब, पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, रंगकर्मी दीपक कबीर, अध्यापक रोबिन वर्मा, महिला कार्यकर्ता सदफ जफर व अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ये 19 दिसंबर से जेल में हैं. पुलिस जूलूस में बेगुनाह लोगों व कार्यकर्ताओं के फोटो अखबारों में छाप कर अपराधियों जैसी ‘वान्टेड’ नोटिस जारी कर रही है.
उन्होंने कहा कि ऐसे वीडियो प्रमाण मिल रहे हैं जिनमें पुलिस मुस्लिमों को भद्दी साम्प्रदायिक गालियां और जान से मारने की धमकियां दे रही है. उनके घरों में लूटपाट व तोड़फोड़ कर रही है. मेरठ के एक पुलिस अधीक्षक ने तो मुस्लिमों से पाकिस्तान चले जाने को कहा. मुख्यमंत्री योगी प्रदर्शनकारियों से 'बदला' लेने जैसे घोर आपत्तिजनक व अपने अल्पसंख्यक-विरोधी भड़काऊ वक्तव्यों से पुलिस को दमन और तेज करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. ऐसे में लगता है कि यूपी में संविधान की जगह पुलिस राज कायम हो गया है.
माले राज्य सचिव ने मांग की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तत्काल अपना पद छोड़ें और सर्वोच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश के हालात पर निष्पक्ष जांच कराने के लिए एक एस.आई.टी. का गठन करे. लखनऊ, बनारस समेत प्रदेश भर में गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को अविलम्ब रिहा किया जाये. लोकतांत्रिक प्रतिवादों पर प्रदेश भर में लगी धारा 144 समेत सभी तरह की पाबंदियां हटायी जायें.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में दमन का मुकाबला करते हुए जन प्रतिवाद तेज हो रहा है. सपा-बसपा जैसे दल जहां दिखावटी विरोध में लगे हैं, वहीं छात्रों-युवाओं की प्रेरक भागीदारी के साथ अब जगह-जगह महिलाएं भी सड़कों पर उतर रही हैं. वाम दलों ने एक से सात जनवरी तक राज्यव्यापी विरोध सप्ताह मनाते हुए जनता के बीच जाने का कार्यक्रम तय किया है. उन्होंने कहा कि आठ जनवरी को होनेवाली राष्ट्रव्यापी मजदूर हड़ताल में सीएए-एनआरसी-एनपीआर को भी मुद्दा बनाया जायेगा. भाकपा (माले) भी देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप, संविधान व लोकतंत्र की हिफाजत के लिए सड़कों पर इसके समर्थन में पूरी ताकत से उतरेगी.