हेमंत सोरेन बने झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री, शपथ ग्रहण समारोह में दिखी विपक्षी एकजुटता
नई दिल्ली: झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। वे राज्य के 11वें मुख्यमंत्री होंगे। हेमंत सोरेन के अलावा कांग्रेस और आरजेडी के भी विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। वहीं सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह के बहाने देश भर की विपक्षी पार्टियों की एकजुटता भी यहां दिखाई दी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और असम के पूर्व सीएम तरूण गोगोई भी शपथ ग्रहण समारोह में नजर आए।
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने हेमंत सोरेन को दोपहर लगभग 2 बजे स्थानीय मोरहाबादी मैदान में आयोजित समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वहीं हेमंत सोरेन के अलावा कांग्रेस के विधायक आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और आरजेडी विधायक सत्यानंद भोक्ता ने हेमंत सोरेन के साथ मंत्री पद की शपथ ली है। इससे पहले झारखंड विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के नेता सोरेन ने अपने सहयोगी दलों कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेताओं और विधायकों के साथ 24 दिसंबर की रात राज्यपाल से मुलाकात कर 50 विधायकों के समर्थन से राज्य में अपनी सरकार के गठन का दावा पेश किया था।
रविवार को हुए हेमंत सोरेन के शपथ समारोह के दौरान मंच पर विपक्ष के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। नई सरकार के शपथ समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सुबोध कांत सहाय, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे। इसके अलावा डीएमके नेता एमके स्टालिन, जेएमएम नेता और हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, एनसीपी नेता सुप्रिया सुलेऔर प्रदेश के पूर्व सीएम रघुबर दास भी मंच पर मौजूद रहे।
झारखंड विधानसभा के 23 दिसम्बर को घोषित चुनाव परिणामों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ने भाजपा को बुरी तरह पराजित किया और 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटें जीतीं जबकि भाजपा को सिर्फ 25 सीटों से संतोष करना पड़ा।