नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच अब भाजपा के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने केंद्र से नए नागरिकता कानून में बदलाव कर मुस्लिमों को शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि धर्म के आधार पर किसी को बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘‘हम मजबूती से मानते हैं कि मुस्लिम समुदाय को भी संशोधित नागरिकता कानून में शामिल किया जाना चाहिए।''

गौरतलब है कि विवादित संशोधित नागरिकता कानून में 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर सताए जाने के कारण भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन धर्मावलंबियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी पार्टी की ओर से बोल रहा हूं और पार्टी का स्पष्ट रूप से मानना है कि भारत सरकार को इस कानून में संशोधन कर मुस्लिमों को शामिल करना चाहिए क्योंकि यह देश की राय है।'' शिअद प्रमुख जो पंजाब के फिरोजपुर से सांसद भी हैं, ने कहा कि उनकी पार्टी के सांसदों ने ससंद में कहा था कि संशोधित नागरिकता कानून में मुस्लिमों को शामिल किया जाना चाहिए। बादल ने कहा, ‘‘हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं और यह हमारी ताकत है कि वे एक टीम की तरह साथ रहें। क्यों उन्हें (मुस्लिमों) अलग करना चाहिए… मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि भारत सरकार को उन्हें शामिल करना चाहिए है। धर्म के आधार पर किसी को बाहर नहीं रखना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने संसद में कहा कि हमारे (सिख) गुरुओं ने अपने जीवन की कुर्बानी अन्य आस्था के लोगों के लिए दी और हमारा धर्म ‘सरबत दा भला'' (सभी का कल्याण) की सीख देता है। इसलिए मेरा विनम्र निवेदन है कि उन्हें (संशोधित नागरिकता कानून में मुस्लिमों को) भी शामिल करें।'' बादल से जब पूछा गया कि क्या पार्टी इस मुद्दे पर सरकार से संपर्क करेगी तो उन्होंने कहा कि पहले ही वह संसद में और बाद में सरकार से अनुरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब केंद्र पर निर्भर है। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनपीआर) का समर्थन करने के बारे में पूछे जाने पर बादल ने कहा कि इस मौके पर वह अभी कुछ भी नहीं कहना चाहते हैं।