हमसे हमारी नागरिकता कोई नहीं छीन सकता: मौलाना मतीनुल हक़ कासमी
CAA के खिलाफ प्रदर्शन में हर प्रकार की हिंसा की जमीअत उलमा यूपी ने की निंदा
कानपुर: जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा कासमी काजी ए शहर कानपुर ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर हुए जुल्म पर सख्त ग़म और गुस्से का इज़हार करते हुए कहा कि जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश हर तरह की हिंसा का विरोध करती है। चाहे वह किसी भी तरफ से हो , शासन या प्रशासन की तरफ से हो या प्रदर्शनकारियों की तरफ से। मौलाना ने हिंसा का प्रदर्शन करने वालों से कहा कि यह देश हमारा है हमसे इसकी नागरिकता कोई नहीं छीन सकता, मौजूदा सरकार तो क्या भविष्य में आने वाली सरकारें भी नागरिकता से के अधिकार से हमको वंचित नहीं कर पाएंगी। हिंदुस्तानी आवाम एक जिंदा कौम है, यहां के मुसलमान रहमते दो आलम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के गुलाम हैं, हम उस नबी को मानने वाले हैं , जो समस्त प्राणियों और पूरी मानवता के लिए रहमत बनकर आए। इसलिए हम जहां भी रहे किसी के लिए भी ज़हमत(परेशानी का कारण) ना बनें। हाल ही में हुए दंगों के बाद शासन और प्रशासन की नियतों पर सवाल तो उठता ही है , लेकिन आप यह कभी मत भूलिए कि हम जिस मुल्क में रहते हैं यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है। हम एनआरसी और सीएए का कल भी विरोध करते थे आज भी कर रहे हैं और इस कानून को वापस लेने तक शांतिपूर्वक विरोध और मुखालिफत करते रहेंगे । लेकिन विरोध और प्रदर्शन के नाम पर हिंसा हरगिज बर्दाश्त नहीं की जा सकती, यह हमारे नबी , सहाबा , औलिया अल्लाह और बुजुर्गों का तरीका नहीं रहा है। यह तो इसी तरह हो जाएगा कि हमारी लड़ाई किसी से है और हम लड़ किसी और से रहे हैं हमने इस मुल्क के लिए कुर्बानियां दी हैं। सभी धर्मों के लोग यहां साथ-साथ रहते आए हैं हमने जेलों में जाना पसंद किया है वहां की परेशानियों को बर्दाश्त किया है । लेकिन कभी हिंसा का प्रदर्शन नहीं किया। हर हाल में इस वास्तविकता को समझें कि हिंसक प्रदर्शन से हमारा ही नुकसान है , आज पूरे देश का बहुत बड़ा संजीदा और साक्षर वर्ग एनआरसी और सीए की मुखालिफत कर रहा है , इस पर एतराज किए जा रहे हैं और सवालात पूछे जा रहे हैं , ऐसा कोई वर्ग नहीं बचा जो इसका विरोध ना कर रहा हो, लेकिन विरोध का भी तरीका होता है। आगजनी , तोड़फोड़ करने और पुलिस, प्रशासन पर पथराव करने का नाम विरोध नहीं है । शांति व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर हमारे क्षेत्र में नौजवानों, मां , बहनों, बेटियों के साथ-साथ दुकानों और मकानों पर पुलिस का क़हर बरपा होगा जिसे कोई भी गै़रतमंद इंसान देखना नहीं चाहेगा और इसके कितने नुकसान सामने आएंगे और दुश्वारियों, परेषानियों का सामना करना पड़ेगा, हमें इसको भी नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। शांतिपूर्वक विरोध और प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक अधिकार और हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। तालीम याफ्ता(षिक्षित) वर्ग इस बात को समझे कि जो लोग समाज को हिंसा पर आमादा कर रहे हैं, वह दरअसल सीएए और एनआरसी की आवाज को दबाने की कोशिश में लगे हुए हैं। हमें अपने इलाकों में संवेदनशील रहकर नौजवानों को बहका कर हिंसा पर आमादा करने वाले लोगों पर नजर रखनी चाहिए, जो लोग हिंसा और मैं और मरने मारने की बात कर रहे हैं उन्हें बताएं के हिंसक होकर हम अपनी ही बात को दबाने की वजह बन सकते हैं। मौजूदा नागरिक संशोधन कानून और एनआरसी सिर्फ मुसलमानों का नहीं यह हमारे संविधान और देश के लिए खतरे का सवाल है और मुल्क पर आने वाले किसी भी खतरे को यहां का रहने वाला मुसलमान ही नहीं बल्कि कोई भी हिंदुस्तानी बर्दाश्त नहीं करेगा।