निर्भया केस में दोषी अक्षय की मौत की सजा बरकरार
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषी अक्षय की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। तीन सदस्यीय बेंच ने बुधवार को उसकी पुनर्विचार याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दी। अक्षय के वकील एपी सिंह ने सुनवाई के दौरान केस की जांच और पीड़ित के बयानों पर सवाल उठाए। दोषी पक्ष के वकील ने कोर्ट में लगातार एक के बाद एक तर्क रखा। उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण और खराब हवा का हवाला देते हुए फांसी की सजा नहीं देने की गुहार लगाई। सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी भी सूरत में इस अपराध को माफ नहीं किया जा सकता।
जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोपहर 1 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। बहस के दौरान दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने अपने मुवक्किल को फांसी नहीं देने की मांग की।
सरकार की तरफ से पेश वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सभी दलीलों को सबूतों को परखने के बाद फांसी की सजा सुनाई, जो कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना। यह अपराध ऐसा गंभीर है जिसे भगवान भी माफ नहीं कर सकता जिसमें सिर्फ फांसी की सजा ही हो सकती है।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि मामले की जांच कई सवालों के घेरे में है। अब हमारे पास नए तथ्य हैं। मीडिया, राजनीति और जनता के दवाब में अक्षय को दोषी ठहरा दिया गया। पीड़ित ने आखिरी बयान में किसी का नाम नहीं लिया, उसकी मौत ड्रग ओवरडोज से हुई थी।
दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने सुनवाई के दौरान बहस करते हुए कहा कि दोषी ठहराया गया अक्षय गरीब और बेकसूर है। उन्होंने कहा कि मृत्युदंड सजा देने की प्राचीण परंपरा है। फांसी से जुर्म खत्म होता है, अपराधी नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि फांसी की सजा सुनाने से लगता नहीं कि अपराधी गुनाह करना छोड़ेंगे। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि फर्जी रिपोर्ट तैयार किए गए, अक्षय कुमार सिंह का नाम इसमें गलत तरीके से शामिल किया गया। उसे गलत फंसाया गया।
अक्षय की ओर से पेश हुए वकील एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में अभी तक मीडिया प्रेशर है। इसके साथ ही एपी सिंह ने जांच पर सवाल उठाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट का फैसला आ चुका है, तब ये नया फैक्ट कहां से लाए? कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष आधे घंटे में बहस पूरी करें। एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में राजनीतिक दबाव और मीडिया का दबाव बेहद रहा है। मीडिया का दबाव अभी भी है।
सिंह ने साथ ही गुरुग्राम के एक स्कूल में छात्र की हत्या का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में बेकसूर को फंसा दिया था। अगर सीबीआई की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता। इसलिए हमनें इस केस में भी सीबीआई जैसी एजेंसी से जांच की मांग की थी। निर्भया मामले के दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर एक बजे फैसला आएगा।
इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस ने दोषी अक्षय ठाकुर की रिव्यू याचिका पर दलील पेश करने के लिए वकील को 30 मिनट का वक्त दिया। आज भी तीन जजों की पीठ ने दोषी के वकील को 30 मिनट का ही तय समय दिया। ठाकुर के वकील ने अजीब तर्क देते हुए मंगलवार को कहा कि मेरे क्लाइंट के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने सारा दोष मीडिया पर डालते हुए कहा कि मीडिया ने ही मेरे क्लाइंट के खिलाफ दुष्प्रचार किया।
निर्भया के पिता ने सुनवाई से पहले कहा, उम्मीद है कि दोषी अभय की याचिका खारिज होगी। देश चाहता है कि दोषियों को फांसी देने की तारीख तय हो। अक्षय ने याचिका में दिल्ली के प्रदूषण का हवाला देते हुए मौत की सजा पर सवाल उठाए। उसने कहा था कि जब प्रदूषण की वजह से वैसे ही दिल्ली में लोगों की उम्र घट रही है तो ऐसे में मौत की सजा क्यों दी जाए?
इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े ने दोषी अक्षय के पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की नई बेंच कर रही है। सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश के अलग होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार शाम जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ गठित की।
अक्षय ने मौत की सजा से बचने के लिए अजीब दलीलें दीं थीं। उसने याचिका में दिल्ली के गैस चैंबर होने, सतयुग-कलियुग, महात्मा गांधी, अहिंसा के सिद्धांत और दुनियाभर के शोधों का जिक्र किया था। अक्षय ने कहा था कि जब दिल्ली में प्रदूषण की वजह से वैसे ही लोगों की उम्र घट रही है, तब हमें फांसी क्यों दी जा रही है?
16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में 2013 में निचली अदालत ने अक्षय, मुकेश, पवन और विनय को मौत की सजा सुनाई थी। एक अन्य दोषी राम सिंह ने कथित तौर पर तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। एक दोषी नाबालिग का केस जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है। 2017 में मुकेश, पवन और विनय ने फैसले पर पुनर्विचार याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल खारिज कर दिया था। दोषी विनय ने राष्ट्रपति के पास भेजी दया याचिका वापस लेने की मांग की है। उसने कहा था कि दया याचिका पर मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं।
दिल्ली की तिहाड़ जेल ने उत्तर प्रदेश से दो जल्लाद मुहैया करवाने के लिए कहा है। उत्तर प्रदेश के एडीजी (जेल) आनंद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि हमें 9 दिसंबर (सोमवार) को फैक्स के माध्यम से तिहाड़ जेल से एक पत्र मिला है, जिसमें यूपी के दो जल्लादों की सेवाएं मांगी गई हैं, क्योंकि उनके( तिहाड़ जेल) पास जल्लाद नहीं हैं। पत्र में दोषियों को फांसी दिए जाने का कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन कहा गया है कि इसकी जरूरत पड़ सकती है।