RBI गवर्नर को फरवरी में ही दिखने लगी थी मंदी
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि उन्हें फरवरी में ही मंदी के संकेत मिल गए थे। दास ने कहा है कि इसका अंदेशा होने के बाद ही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने जल्द कदम उठाते हुए पॉलिसी रेट में कमी की थी। उन्होंने कहा कि देश को सुस्त अर्थव्यवस्था से निकलाने के लिए ‘जरूरी कदम’ उठाए जाएंगे।
टाइम्स ग्रुप के इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव कार्यक्रम में दास ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ‘सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ने समय पर कदम उठाए। भारत में ग्रोथ दर चर्चा का अहम विषय है हालांकि ग्लोबल ग्रोथ भी चर्चा का मुद्दा है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालती है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम भारत में जो मंदी देख रहे हैं वह पूरी तरह से वैश्विक कारकों की वजह से है, लेकिन यह भारत के लिए विकास की संभावनाओं को प्रभावित कर रही है। देश की अर्थव्यवस्था पर ‘सूचित और उद्देश्यपूर्ण चर्चा’ की जरूरत है।’
उन्होंने आगे कहा ‘हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 1500 कंपनियों के सर्वे में निवेश बढ़ने के संकेत मिले हैं। हमने मॉनेटरी पॉलिसी से पहले आरबीआई ने 1,539 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों का सर्वे किया था। मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ-साथ बैंकों और नॉन बैंक लैडर्स की बेहतरी को सुनिश्चित करने के लिए काम किया जा रहा है।’
बता दें कि आरबीआई ने 2019 में कुल पांच बार रेपो रेट में बदलवा किया था। हालांकि दिसंबर में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया जो मौजूदा समय में 5.15 फीसदी है। हालांकि सकल घरेलू विकास (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच फीसदी से घटाकर 4.5 फीसदी कर दी है। जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के मुकाबले 0.5 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। आरबीआई की तरफ से अब 6 फरवरी 2020 को मौद्रिक नीति की समीक्षा की जाएगी।