राज्यसभा में भी सरकार ने पास कराया नागरिकता संशोधन बिल
नई दिल्ली: लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल पारित हो गया. इस दौरान सदन में खूब हंगामा भी हुआ. गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, 'जो अल्पसंख्यक बाहर से हमारे देश में आए, उन्हें राहत मिली है. तीन पड़ोसी मुल्कों से लोग हमारे देश में आए. वहां उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिला. वो लोग अपने देश में दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. वह लोग उम्मीद लेकर भारत आए थे. यह बिल लाखों लोगों के लिए किसी आशा की किरण जैसा है. ये बिल धार्मिक प्रताड़ितों के लिए है. मैं इस सदन के माध्यम से देश की जनता का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हूं. घोषणा पत्र के आधार पर प्रचार होता है. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र किया था. हम वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहे हैं. हमने जनता के बीच इस मुद्दे को रखा था और हमें मिला जनादेश इसपर हामी का सबूत है.'
विपक्षी दलों को साधते हुए अमित शाह ने कहा, 'आप चाहते क्या हैं, पूरी दुनिया से मुसलमान यहां आएं और उन्हें हम नागरिक बना दें, देश कैसे चलेगा. क्या हम किसी भी देश से आने वाले मुस्लिमों को अपने देश की नागरिकता दे दें. मेरी विपक्ष को चुनौती है कि मैं सभी सवालों का जवाब दूंगा लेकिन आप मेरी बात सुनिएगा, चले मत जाइएगा. इस बिल से इस तीन देशों के अल्पसंख्यकों को सम्मान की जिंदगी मिलेगी.'
वहीं कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस विधेयक (CAB) का पुरजोर विरोध किया. कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा, 'पिछले कुछ सालों से इस बिल को लेकर चर्चा हो रही है. साल 2016 में भी यह बिल लाया गया था लेकिन उसमें और इसमें काफी अंतर है. मैंने गृह मंत्री को आज भी सुना और दूसरे सदन में भी सुना था. उनका कहना है कि सबसे बातचीत हो चुकी है. जांच पड़ताल हो चुकी है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. इसकी स्क्रूटनी होनी चाहिए. आप कह रहे है कि यह ऐतिहासिक बिल है, इतिहास इसको किस नजरिए से देखेगा, यह वक्त बताएगा.'
शर्मा ने कहा, 'इस बिल को लेकर इतनी जल्दबाजी क्यों है. इसे पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजें, दोबारा से दिखवाते, अगले सत्र में लेकर आते लेकिन सरकार जिद्द कर रही है. वह इसको लेकर ऐसे कर रही है, जैसे भारत पर कोई विपत्ति आ रही हो. ऐसा पिछले 72 सालों में नहीं देखने को मिला. हमारा विरोध राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक है. यह भारतीय संविधान की नींव पर हमला है. यह भारत की आत्मा पर हमला है. यह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है.'
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पर शिव सेना (Shiv Sena) के नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने सदन में कहा कि जो बिल का समर्थन करेंगे वो देश भक्त होंगे और जो नहीं करेंगे वो देशद्रोही होंगे. ये मैंने पढ़ा है. ये भी पढ़ा कि जो बिल का विरोध कर रहे हैं वो पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं. संजय राउत ने कहा कि ये पाकिस्तान की संसद नहीं है. ये भारत की है. हमारे मजबूत प्रधानमंत्री हमारे मजबूत गृहमंत्री आपसे बहुत आशा है. जिस स्कूल में आप पढ़ते हैं हम उसके मास्टर है. हमें शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं तो घुसपैठियों को निकालना चाहिए. मानवता के आधार पर हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए. उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान RJD नेता मनोज झा ने सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बहुमत का सही उपयोग होना चाहिए, देश को बचाने की जरूरत है. देश भर में इस मुद्दे पर हो रहे खर्च को अगर शिक्षा के मद में खर्च किया जाए तो हमारी शिक्षा व्यवस्था सुधर जाएगी, देश काफी आगे बढ़ जाएगा.' गांधी और जिन्ना का जिक्र करते हुए झा ने कहा कि अगर स्वर्ग में जिन्ना और गांधी मिलेंगे तो गांधी को शर्मिंदा होना होगा क्योंकि हम इजराइल की राह पर चल रहे हैं.
वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा, 'कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है, हम डरते हैं तो सिर्फ संविधान से.' कपिल सिब्बल ने कहा कि बिल पेश करते समय एक बात कही गई थी जिस पर मुझे सख्त आपत्ति है. आपने कहा था कि देश के मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है. मुझे इसपर आपत्ति है. कोई मुसलमान आपसे नहीं डरता है. मैं इस देश का नागरिक हूं, आप से नहीं डरता हूं. मैं डरता हूं तो सिर्फ संविधान से. देश का मुसलमान डरता है तो सिर्फ संविधान से. कपिल सिब्बल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें पता है आपका लक्ष्य क्या है. ये मैं 2014 से जान रहा हूं. अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, तीन तलाक, सीबीसी, एनआरसी और फिर एनआरसी… सब पता है. आप चाहते हैं लोगों को उसके नाम से पहचानना.
इसके अलावा खबर ये भी है कि गुवाहाटी में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसके अलावा असम के 10 जिलों में 24 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया गया है. यह प्रतिबंध आज शाम 7 बजे से शुरू होगा. बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizen Amendment) के खिलाफ बुधवार को हजारों लोग असम में सड़कों पर उतरे. राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प से राज्य में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई है.