महिला हिंसा रोकने की जवाबदेही से सरकारें भाग रहीं : कविता कृष्णन
लखनऊ: देश में महिला अधिकारों के खिलाफ जैसे युद्ध छिड़ा हुआ है. कहीं बलात्कार पीड़िता को आग लगा दिया जा रहा है, कहीं उस पर तेजाब फेंका जा रहा है. उत्तर प्रदेश में तो स्थिति और भी बदतर है. यहां भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री बलात्कार के आरोपी हैं.
यह बात आज यहां अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने अमीनाबाद के गंगा प्रसाद वर्मा स्मारक हाल में संगठन के आठवें राज्य सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए कही. महिला हिंसा व नफ़रत की राजनीति के खिलाफ सुरक्षा, सम्मान, आजादी और रोजगार के लिए आयोजित सम्मेलन में प्रदेश भर से सैकड़ों महिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें हैदराबाद व उन्नाव की घटना में जानें गंवाने वाली महिलाओं को श्रद्धांजली दी गई.
सुश्री कृष्णन ने कहा कि जब पूरा सत्ता तंत्र बलात्कारी को बचाने में लगा हो, तब कितनी पीड़ित महिलाएं अपने और परिवार पर जान का खतरा मोल लेकर न्याय मांगने आगे आयेंगी. हैदराबाद में एक युवती का सामूहिक बलात्कार और हत्या की गई. उसकी बहन और माता-पिता द्वारा खबर करने के बावज़ूद पुलिस ने एफआईआर लिखने और युवती को तलाशने से इंकार किया. फिर अपने ही गुनाह को ढंकने के लिए पुलिस ने चार आरोपियों की एन्काउन्टर के नाम पर हिरासत में हत्या कर दी. यह न्याय नहीं ढकोसला है, क्रूर मज़ाक है.
ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि भाजपा और संघ परिवार महिलाओं की आजादी और अधिकारों से डरती है, उन्हें खत्म करने पर आमादा हैं. देश के संविधान को खत्म कर उसकी जगह महिला और दलित विरोधी मनुस्मृति को लागू करना चाहती है. देश की महिलाओं को एकजुट होकर बलात्कार और महिला उत्पीड़न रोकने की जिम्मेदारी से भागने वाली सरकार और तंत्र के खिलाफ हल्ला बोलना होगा.
ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि देशभक्ति और राष्ट्रवाद की बात करने वाली भाजपा की सरकार महिलाओं की तो सुरक्षा नहीं कर पा रही, उल्टे बलात्कारियों, अपराधियों, भूमाफियाओं का प्रदेश में खुलेआम संरक्षण कर रही है.
सम्मेलन के उदघाटन सत्र को नाईश हसन, डा. शाहीन आगा, विद्या रजवार ने सम्बोधित किया. अतिथियों व प्रतिनिधियों का स्वागत ऐपवा नेता मीना और संचालन कुसुम वर्मा ने किया. सम्मलेन के अंत में कृष्णा अधिकारी को प्रदेश अध्यक्ष और कुसुम वर्मा को सचिव चुना गया. इनके अलावा दो उपाध्यक्ष और तीन सहसचिव भी चुनी गईं।
सम्मलेन से पारित प्रस्तावों में महिला हिंसा पर रोक लगाने, बलात्कार-हत्या के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए त्वरित फैसला करने, महिलाओं को निःशुल्क शिक्षा, चिकित्सा और कुपोषण से बचाने के लिए पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने, मनरेगा व अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से न्यूनतम पांच सौ रुपए दैनिक मजदूरी पर साल भर रोजगार देने, सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में महिला आरक्षण सुनिश्चित करने, आशा, आंगनबाड़ी, रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा व 18 हजार रूपए न्यूनतम मानदेय देने, महिलाओं के नाम जमीन के पट्टे देने, आवास व शौचालय देने आदि मांगें की गयीं.
इससे पहले सुबह, चारबाग से अमीनाबाद तक महिलाओं ने बलात्कार, हत्या और महिला हिंसा के खिलाफ सरकार-विरोधी जोरदार नारों के साथ रैली निकाली.