राजधानी लखनऊ में कागजों पर चल रहे हैं सरकारी स्कूल
सत्र समाप्ति से ठीक पहले खुला प्राथमिक विद्यालय, पिछले दो सालों से जर्जर भवन पर लटका था ताला
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री और तमाम आला अधिकारियों की नाक के ठीक नीचे बेसिक शिक्षा विभाग ऐसा खेल खेल रहा है जिससे ना केवल सरकार को आर्थिक चोट पहुंच रही है बल्कि सामाजिक उपहास का भी सामना करना पड़ रहा है।
सोमवार दोपहर बाद खण्ड शिक्षा अधिकारी अर्चना अध्यापक अखिलेश शर्मा के साथ दो सालों से बंद पड़े प्रेमवती नगर प्राथमिक विद्यालय को देखने पहुंची और साफ सफाई करने के बाद मंगलवार से सरकारी स्कूल चलाने लगे हैं। बुधवार को भी शिक्षक अखिलेश शर्मा खुद झाडू लेकर सफाई करते दिखाई दिए जबकि विद्यार्थियों के नाम पर कोई नहीं था। लेकिन सवाल है कि सत्र जब समाप्ति की ओर हैं तो बच्चे कहाँ से आएंगे ? क्या शिक्षक अखिलेश शर्मा अपने घर के बिल्कुल पास नियुक्ति को लेकर जर्जर भवन में विद्यालय चलाएंगे ?
आलमबाग के बड़ा बरहा, शांति नगर स्थित ज्योति ठाकुर के भवन में किराए पर विगत कई वर्षों से प्राथमिक विद्यालय चल रहा है। भवन जर्जर हालत में होने पर उन्होंने बीएसए कार्यालय को सूचित किया था तब 2012 में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से विद्यालय में कक्षाएं लगाने पर रोक लगा दी और शांति नगर प्राथमिक विद्यालय को बिल्कुल पास में चल रहे प्रेमवती नगर विद्यालय में समायोजित कर दिया। यहीं से असली खेल शुरू हो गया। बरहा आलमबाग क्षेत्र का वह शहरी हिस्सा है जहाँ सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ना के बराबर है क्योंकि यहीं आसपास शहर के सभी श्रेणी के स्कूल मौजूद हैं और लोग सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना भी नहीं चाहते हैं।
अपने मूल स्थान से लगभग 5 किलोमीटर दूर प्रेमवती नगर विद्यालय एक सामुदायिक केन्द्र में चल रहा था जिसमें शांति नगर विद्यालय को समायोजित किया गया। सामुदायिक केन्द्र की जर्जर हालत को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने लगभग 9.40 हजार रुपए की धनराशि एक शिक्षक विजय बहादुर श्रीवास्तव के खाते में भेजी थी लेकिन तथाकथित शिक्षा माफिया सरकारी शिक्षक सतीश द्विवेदी ने इस राशि को अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिया। उसके बाद जर्जर सामुदायिक केन्द्र को ध्वस्त करवा कर उसके मलबे को भी बेच दिया गया। आज तक प्रेमवती नगर विद्यालय का भवन निर्माण नहीं हो सका और सरकारी गबन करने वाले शिक्षक सतीश द्विवेदी पर एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। ऐसे में जहाँ ऊपर के अधिकारी मलाई काट रहे थे वहीं शिक्षकों तथा शिक्षामित्रों की लम्बी चौड़ी फौज बिना बच्चों के जनता की गाढी कमाई में सेंध लगाते रहे।
ऐन केन प्रकरण जब प्रेमवती नगर विद्यालय का निर्माण नहीं हो सका तो विभाग ने इस स्कूल को वापस शांति नगर की जर्जर बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया और तब से खुद बीएसए कार्यालय के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए शिक्षक और शिक्षामित्र अपने घरों के पास सरकारी वेतन, मिड डे मील, छात्रवृत्तियों, स्कूल ड्रेसों पर कब्जा जमाएं बैठे हैं। शांति नगर विद्यालय में पहले से ही विद्यार्थी नहीं थे और अब दो साल बाद एबीएसए कैसे दिसम्बर के महीने में बच्चों का इंतजाम करेंगी ?
खण्ड शिक्षा अधिकारी अर्चना ने पहले तो बीएसए से पूरी बात पूछने की बात करते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश की लेकिन बाद में कहा कि मैं अभी अभी नियुक्ति पर आई हूँ इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं है। दिसम्बर में अलग से नया सत्र शुरू करने के सवाल पर एबीएसए बगलें झांकती नजर आई।
भवन स्वामिनी ज्योति ठाकुर ने बताया कि लोक कल्याण की भावना से उनकी माता जी ने इस भवन को किराए पर दिया था लेकिन जर्जर हालत होने के बाद वे लगातार भवन खाली करने के लिए प्रार्थना करती रही है। सन 2012 में बीएसए ने आदेश जारी कर इस स्कूल को हटा दिया था लेकिन शिक्षक अखिलेश शर्मा अपना घर पास होने के कारण इसको खाली नहीं कर रहे हैं और एक भी बच्चा ना होने पर भी विद्यालय चलाने का प्रयास कर रहे है। पिछले दो वर्षों से विद्यालय में ताला लगा हुआ था और आज अचानक फिर भवन खाली ना कर स्कूल खोल दिया गया है। जून 2008 से किराया भी नहीं मिला है।