साइप्रस और ग्रीक निवेश योजनाएं भारतीय निवेशकों में हुई सबसे लोकप्रिय
साइप्रस का सबसे बड़ा डेवलपर लेप्टोस एस्टेट्स साइप्रस और ग्रीस में रिहायशी एवं नागरिक योजनाओं का सबसे बड़ा और सबसे सफल प्रदाता है, जो हर साल ऐसी सैंकड़ों योजनाओं को प्रसंस्कृत करता है, जिनमें भारतीय निवेशकों का अनुपात लगातार बढ़ रहा है। इन्हीं फायदों के मद््देनज़रये देश अन्य देशों की तुलना में एक त्वरित, सस्ती एवं व्यापक रेज़ीडेन्सी-बाय-इन्वेस्टमेन्ट योजना पेश करते हैं। लेप्टोस के अनुसार युरोपीय संघ के ये दो देश सम्पन्न बड़े परिवारों वाले भारतीयों के लिए उत्कृष्ट चुनाव हैं, जहां वे अपने पारिवारिक कारोबारों का संचालन करते हैं। प्रोफेशनल वेल्थ मैनेजमेन्ट द्वारा जारी रिपोर्ट भी उपरोक्त तथ्यों की पुष्टि करती है जिसके अनुसार साइप्रस रेज़ीडेन्सी-बाय-इन्वेस्टमेन्ट के लिए शीर्ष पायदान के 10 गंतव्यों में शामिल हैं, इनमें शामिल अन्य गंतव्यों में सेंट किट्स और नेविस, ग्रेनाडा, एंटिगुआ, सेंट लुसिया और आॅस्ट्रिया शामिल हैं। एक अन्य रिपोर्ट नाईट फ्रैंक वेल्थ रिपोर्ट 2019 के अनुसार 21 फीसदी अल्ट्रा-हाई नेट वर्थ लोगों ने भारत के बाहर घर खरीदने में रूचि दिखाई है।अन्य लोकप्रिय योजनाओं की तुलना में अगर साइप्रस और ग्रीक रेज़ीडेन्सी की बात करें तो साइप्रस त्वरित एवं सहज रिहायशी विकल्प उपलब्ध कराता है; जहां आवेदनकर्ता मात्र 60 दिनों के बाद आधिकारिक नागरिक बन जाता है, साथ ही अनुमोदन से पहले और बाद में निवेश के लिए साइप्रस में रहना ज़रूरी नहीं होता। ग्रीस की योजना भी कुछ ऐसी ही है, जहां प्रसंस्करण में औसतन 10 दिन लगते हैं और निवासी 7 साल के बाद नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। ऐसी अन्य योजनाओं से तुलना करें तोः यूएसए में रेज़ीडेन्सी के लिए आपको 5 में से 3 साल तक देश में रहना ज़रूरी होता है और आपको अगले 8 सालों तक नागरिकता के लिए इंतज़ार करना पड़ता है; वहीं यूके में आपको हर साल 9 महीने के लिए देश में रहना पड़ता है और नागरिकता के लिए अगले 6.5 साल तक इंतज़ार करना पड़ता है। आॅस्ट्रेलिया में रेज़ीडेन्सी की बात करें तो आपको 5 में से दो साल तक देश में रहना पड़ता है और नागरिकता के लिए अगर 4 साल इंतज़ार करना पड़ता है। आरबीआई ने प्रेषण योजना जारी की है। मौजूदा नियमों के मुताबिक, रेज़ीडेन्ट व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष 250,000 डाॅलर तक प्रेषित कर सकता है। प्रेषित राशि को शेयर, ऋण उपकरणों में निवेश किया जा सकता है और इसका उपयोग विदेशी बाज़ार में अचल सम्पत्ति खरीदने के लिए भी किया जा सकता है। भारतीय सांसदों ने देश की संसद के समक्ष एक विधेयक प्रस्तुत किया, जिसके मुताबिक भारतीय मूल के विदेशी लोगों के दोहरी नागरिकता की अनुमति मिलनी चाहिए। मौजूदा नियमों के अनुसार भारतीयों को अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने के बाद भारतीय नागरिकता को त्यागना होगा।