स्वामी बोले-4.5% नहीं, हकीकत में मात्र 1.5% है जीडीपी ग्रोथ
नई दिल्ली: केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरने पर चिंता जाहिर की है और कहा है कि असलियत में मौजबदा दौर में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.5 फीसदी नहीं बल्कि 1.5 फीसदी है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर भी निशाना साधा है और कहा है कि उन्हें इकनॉमिक्स नहीं आती। स्वामी ने हफिंगटन पोस्ट से सवालिया लहजे में कहा, “क्या आप जानते हैं कि वास्तविक विकास दर आज क्या है? वे भले कह रहे हैं कि यह 4.8% पर आ रहा है लेकिन मैं कह रहा हूँ कि यह 1.5% है।” स्वामी ने ये बातें जीडीपी के हालिया आंकड़े जारी होने से तुरंत पहले कही थी।
बता दें कि शुक्रवार को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, ‘‘मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गयी जो कि बीते छह साल में निचले स्तर पर है। लगातार पांचवीं तिमाही में इस तरह की गिरावट दर्ज की गयी है।’’
नोटबंदी के बाद से जीडीपी ग्रोथ रेट गिरती जा रही है। 2016 में नोटबंदी के तुरंत बाद पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी आगाह किया था कि इससे जीडीपी में दो प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है और उनकी चेतावनी सही साबित हो रही है।
स्वामी ने कहा कि जब सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स किया तब आपने देखा होगा कि सवालों का जवाब देने के लिए उन्होंने अफसरों को माइक थमा दिया था। बीजेपी सांसद ने कहा, “देश में आज समस्या क्या है? कमजोर मांग। आपूर्ति कोई समस्या नहीं है लेकिन वो क्या कर रही हैं? वो कॉरपोरेट्स को टैक्स छूट दे रही हैं। उनके पास सप्लाई पर्याप्त मात्रा में है। वे सिर्फ अपने कर्ज को माफ करने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने यही किया है।” स्वामी ने कहा कि दिक्कत यहां भी है कि पीएम मोदी के सलाहकार उन्हें सच बताने से भी डर रहे हैं।
बीजेपी सांसद ने कहा कि पीएम को इसकी हकीकत नहीं मालूम है क्योंकि उन्हें सबकुछ अच्छा दिखाया और बताया जा रहा है। स्वामी खुद लंबे समय से वित्त मंत्री के पद की चाहत रखते रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अनदेखी की है। स्वामी ने कहा, “वह नहीं चाहते कि कोई मंत्री उनसे बात करे, सार्वजनिक रूप से उन्हें अकेले चलने दें, यहां तक कि कैबिनेट की बैठकों में भी।” बता दें कि स्वामी मोदी सरकार-1 में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली की भी आलोचना करते रहे हैं।