शिवसेना के राहुल की चाहत ने पिता को पहुँचाया मुख्यमंत्री की कुर्सी तक
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ।कभी-कभी मंज़िल तक पहुँचने के लिए बहुत देर लग जाती हैं सियासत में और कभी बहुत ही आसान तरीक़े से मंज़िल मिल जाती हैं।महाराष्ट्र की सियासत में 19 जून 1960 को जन्म लेने वाली शिवसेना के सुप्रीमो को लगभग साठ साल लग गए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचने के लिए ये बात अलग है कि उस पार्टी के स्थापक बाल ठाकरे यें नहीं चाहते थे कि मैं या मेरा परिवार सत्ता के पदों पर विराजमान रहे अपनी-अपनी सोच होती हैं कोई सत्ता में सीधे न जाकर बैकगेट से सत्ता पर क़ाबिज़ रहना पसंद करता है संघ की तरह तो कोई सीधे सत्ता में रहना पसंद करता है।शिवसेना देश का पहला ऐसा सियासी दल है जिसने अपने आपको सीधी सत्ता से दूर रहना ही बेहतर समझा।मोदी की भाजपा के इस दौर ने शिवसेना जैसे दल को भी मजबूर कर दिया कि वह अपने साठ साल पहले रूख में बदलाव करें अगर वह ऐसा न करती तो उसको महाराष्ट्र की राजनीति से ख़त्म करने की पूरी तैयारी हो चुकी थी जिसको शिवसेना का नेतृत्व समझ चुका था तभी उसने अपने रूख में बदलाव कर मुख्यमंत्री की कुर्सी सँभाली है।उसके रूख में बदलाव से मोदी की भाजपा के चाणक्य मंडली भी हैरान और परेशान थी कि ये उसे क्या हो गया है यही सब ध्यान में रखते हुए मोदी की भाजपा व उसकी मंडली ने हर वह चाल चली जिससे शिवसेना मुख्यमंत्री की कुर्सी पर न बैठ पाए लेकिन एनसीपी के प्रमुख शरद पवार की कूटनीतिक चालों से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना आसान हो पाया है।अब बात करते हैं कुछ ऐसे क्षेत्रीय दलों की जिन्होंने बहुत जल्द या कुछ देर में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर क़ब्ज़ा जमा लिया।जम्मू कश्मीर की सियासत में अमल दखल रखने वाले परिवार ने भी नेशनल कांफ्रेंस नाम से एक पार्टी का गठन 1932 में किया इसके स्थापक शेख़ अब्दुल्ला थे 1948 में इसके प्रमुख शेख़ अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री बने (जब वहाँ प्रधानमंत्री ही बनता था) बाद में उनके पुत्र फारूक अब्दुल्ला भी मुख्यमंत्री बने उसके बाद उनके प्रपौत्र उमर अब्दुल्ला भी वहाँ के मुख्यमंत्री बने।जम्मू कश्मीर की ही एक और पार्टी पीडीपी के प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद व उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे।महाराष्ट्र की राजनीति में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का जन्म 1999 में हुआ था सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को लेकर कांग्रेस से अलग हो कर शरद पवार ने बनाई थी हालाँकि इसके प्रमुख शरद पवार 1978 में प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ़्रंट बनाकर पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए थे जब उनकी उम्र 38 साल थी।जनता दल से बग़ावत कर मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया हालाँकि वह भी पार्टी गठन से पूर्व ही यूपी जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके थे वह 1989 1993 2003 में भी मुख्यमंत्री रहे।2003 की सत्ता से बेदख़ल होने के बाद मुलायम सिंह यादव की पार्टी 2012 में सत्ता में आई लेकिन मुलायम सिंह यादव ने चरखा दांव चलते हुए खुद मुख्यमंत्री न बन अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया और आते-आते पार्टी की बागडोर भी अखिलेश यादव ने अपने हाथ में ही ले ली और मुलायम सिंह यादव को पार्टी का संरक्षक बना दिया।देश की राजनीति के एक मात्र नेता जिसने सत्ता के दबाव में कभी गुटने नहीं टेके उसका नाम है लालू प्रसाद यादव 1997 में अपनी पार्टी का गठन किया जिसका नाम राष्ट्रीय जनता दल है वह भी अपनी पार्टी बनाने से पूर्व ही बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं 1990 से 97 तक।पार्टी का गठन करने के पाँच साल के अंतराल में ही अपनी पत्नी राबड़ी देवी को भी मुख्यमंत्री बनवाने में कामयाब रहे।तमिलनाडु की सियासत में अमल दखल रखने वाली डीएमके की स्थापना 17 सितंबर 1949 में करूणानिधि ने की और 1969 से 2011 तक छह बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे।आन्ध्र प्रदेश की सियासत में अपना किरदार रखने वाले एन टी रामाराव का नाम भी शामिल हैं 1982 में तेलगुदेशम पार्टी का गठन किया और बहुत जल्द राज्य की सियासत को अपने इर्द-गिर्द घूमाते रहे लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे उनके उत्तराधिकारी उनके दामाद चन्द्रबाबू नायडू ने सब कुछ हथिया लिया वह भी आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और राज्य की सियासत में स्थापित है इसी राज्य के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मुख्यमंत्री रहे राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद पुत्र जगन मोहन रेड्डी ने भी कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और राज्य के मुख्यमंत्री बने।आन्ध्र प्रदेश से अलग होकर बने तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने राज्य के निर्माण को लेकर बनाई तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन 2001 में किया था केंद्र की कांग्रेस सरकार से राज्य भी बनवाया और मुख्यमंत्री भी बने ये बात अलग है कि उन्होंने कांग्रेस को धोखा दिया राज्य गठन से पहले कांग्रेस को भरोसा दिलाया कि राज्य का गठन हो जा जाने के बाद मैं अपने संगठन तेलंगाना राष्ट्र समिति का कांग्रेस में विलय कर दूँगा लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गए और राज्य में एक मज़बूत क्षेत्रीय दल बनकर तैयार हो गए हैं।हरियाणा की सियासत में एक लंबे अरसे तक अपना दबदबा क़ायम रखने वाले देवीलाल भी अपनी पार्टी बनाकर सियासत करने वालों में शामिल हैं जिन्होंने एक नहीं बल्कि कई पार्टियाँ बनाई उनके पुत्र ओमप्रकाश चौटाला भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे।झारखंड राज्य में शिबू सोरेन ने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना 4 फ़रवरी 1974 में की शिबू सोरेन पी वी नरसिम्हा राव की सरकार खेवनहार रहे थे।RSS के द्वारा देश भर में केन्द्र की यूपीए 2 सरकार के विरूद्ध योजनाबद्ध तरीक़े से एक अभियान चलाया गया जिसमें अन्ना हज़ारे , अरविन्द केजरीवाल , किरन बेदी आदि का प्रयोग करते हुए केन्द्र में घोटालेबाज़ों की सरकार का शोर मचाया गया जिससे जनता भ्रमित हो गई थी जबकि सारा खेल RSS का था सीधे RSS कर नहीं सकती थी क्योंकि वह साम्प्रदायिक संगठन माना जाता है और यह सही भी है इसी को ध्यान में रखते हुए संघ ने अन्ना हज़ारे के प्रायोजित आन्दोलन को पीछे से समर्थन दिया था उसी आन्दोलन से प्रभावित होकर इन लोगों ने आम आदमीं पार्टी का गठन किया था संघ के द्वारा उस प्रायोजित आन्दोलन को जनता ने पसंद करते हुए दिल्ली राज्य की कमान अरविंद केजरीवाल को सौंपी थीं यह बात अलग है कि अरविंद केजरीवाल सरकार संघ की इस कूटनीतिक चाल को बाद में समझ गए थे और उन्होंने अलग रास्ता अख़्तियार कर लिया था उनकी सरकार ने दिल्ली में अच्छे काम भी किए इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।ख़ैर गोदी मीडिया की एक एंकर द्वारा शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र चुनाव से पूर्व शिवसेना का राहुल गांधी साबित होने की भविष्यवाणी की थी जिस पर बाद में बवाल मचने पर उन्होंने मांफी भी माँगी थी ये बात अपनी जगह पर है इन सब बातों में से एक सवाल निकल कर आ गया है कि शिवसेना के राहुल की चाहत ने ही पिता को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचा दिया है अगर आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ने की बात न करते जो लड़े भी और जीते भी उनके पिता उद्धव ठाकरे को कोई मुख्यमंत्री बनाने की बात न करता बनना तो बहुत दूर की बात होती।