विधायक दल का नेता होने के चलते अमित शाह ने किया था अजित पवार पर भरोसा
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन सरकार बनने जा रही है। राज्य में हुए इस पूरे सियासी घमासान के बाद बीजेपी पर कई सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने अजित पवार पर भरोसा क्यों किया। इसी बीच केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बताया कि विधायक दल का नेता होने के चलते पार्टी ने उन पर भरोसा किया था। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने 'सही समय' आने पर जवाब देने की बात कही।
शाह ने ट्वीट किया 'मुख्यमंत्री पद का लालच देकर समर्थन लेना खरीद फ़रोख़्त नहीं है क्या? मैं शरद जी और सोनिया जी को कहता हूँ कि एक बार बोलकर देखे की मुख्यमंत्री उनका होगा और फिर शिवसेना का समर्थन लें। लगभग 100 सीटों वाला गठबंधन 56 सीट वाली पार्टी को मुख्यमंत्री पद दे रहा है ये खरीद फ़रोख़्त ही है।'
उन्होंने आगे लिखा 'शिवसेना के सभी विधायक हमारे साथ लड़कर ही चुनाव जीतें हैं। उनका एक भी विधायक ऐसा नहीं है जिसने मोदी जी का पोस्टर ना लगाया हो। उनकी विधानसभाओं में भाजपा की विधानसभाओं से भी बड़े कटआउट्स मोदी जी के लगे थे। क्या ये सब देश और महाराष्ट्र की जनता नहीं जानती है?'
अमित शाह ने बुधवार को एक न्यूज चैनल से बाचतीत में अजित पवार से समर्थन लेने के सवाल का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा 'अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना गया था। उन्हें सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया था। राज्यपाल ने भी सरकार बनाने को लेकर उनसे ही बात की थी। एनसीपी ने जब पहली बार सरकार बनाने में असमर्थता जताई तो उस पत्र पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे। अब हमारे पास जो समर्थन पत्र आया, उस पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे। उनके समर्थन के बाद ही हमने सरकार बनाने की पहल की। उसके बाद उन्होंने समर्थन न होने की बात कहकर इस्तीफा दे दिया। इस कारण बीजेपी के पास भी बहुमत नहीं रहा।' इस दौरान अजित पवार से जुड़े केस वापस लिए जाने के सवाल पर शाह ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई केस वापस नहीं लिया गया है।'