कुल शरीफ में जुटी भारी भीड़, शिवपाल ने दादा मियां के आस्ताने पे दी हाज़री
लखनऊ: हज़रत ख्वाजा मुहम्मद नबी रज़ा शाह अल्मारुफ दादा मियाँ रहमतुल्लाह अलैह के उर्स का आज चौथा दिन था जिसमें हिंदुस्तान के कोने कोने से आए हुए दादा मियाँ के चाहने वालों ने व मुरीदीन हज़रात ने दरगाह शरीफ पर अपनी अक़ीदत का इज़हार किया। कल रात पूरी रात कव्वाली का सिलसिला जारी रहा जो सुबह 5.15 बजे तक चला। महफिले समां में दुनिया के मशहूर कव्वालों ने अपने कलाम पेश किए। रु-ब-रूए यार कव्वाली को कव्वाल अनवर साबरी फिरोज़ाबादी ने बहुत ही आरिफ़ानी कलाम पेश कर के सामेईन के मस्त किया। इसके अलावा शबी ख़ैराबादी, राज़ू मुरली, आफताब वारसी आदि शोहरत याफ़ता कव्वालों ने अपने अपने कलामों से सामेईन को महज़ूज किया।
आज दिन में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव दरगाह शरीफ़ पर हाज़री के आए और दादा मियाँ के 112वें उर्स के पूरे क़ुल शरीफ़ में शिरक़त की और अपनी हाज़िरी दर्ज कराई। क़ुल शरीफ उर्स का सबसे अहम प्रोग्राम होता है, इसी दिन 1911 ई. में दादा मियाँ ने अपनी ज़ाहिरी ज़िदगी से दुनिया से पर्दा किया। क़ुल शरीफ़ में अरबी शिजरे के साथ ख़त्मे क़ुर्आने पाक का एहतेमाम किया जाता है जिसको सारे ज़ाएरीन एक बलंद आवाज़ में एक साथ पढ़ते हैं और दादा मियाँ को याद करते हैं। क़ुल शरीफ में दरगाह शरीफ के सज्जादानशीन हज़रत मुहम्मद सबाहत हसन शाह ने मुल्क के अमनो अमान, ख़ैरो बरकत, और भाईचारगी के लिए ख़ुसुसी दुआ माँगी।
इस अवसर पर कार्यक्रम में वक्ताओ नें सम्बोधित करते हुए कहा कि इस्लाम हुस्ने अखलाक के जोर से फैला है-जो लोग यह कहते हैं कि इस्लाम तलवार के जोर से फैला है उन्हे यह मालूम होना चाहिए कि अल्लाह पाक ने अखलाक में वह धार पैदा कर दी कि अखलाक की धार के आगे तलवार की धार मांद पड़ गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने नबी करीम स. अ. व. के अखलाक को बयान करते हुए कहा कि अल्लाह पाक ने स्पष्ठ तौर से कहा है कि यकीनन आप का अखलाक बलंद व आपका मक़ाम बुलंद व बाला है आप का अखलाके हस्ना सहाबए काराम ताबईन औलिया किराम से मुनतकिल होता हुआ दादा मियां र.अ. तक पहुँचा. यही वह वुजुर्ग हैं जिनकी मेहनतों से हुजूर स.अ.व. का अखलाक हम लोगों तक पहुँचा। दोस्तों इस्लाम एक अमन पसंद मजंहब है जहाँ राई के दाने के बराबर भी शरपसंदी की गुंजाईश नहीं है। इस्लाम अमन का पैगाम देता है और दादा मियाँ का पैगाम भी यही पैगाम है।