सरकार के दावों के उलट कश्मीर में पत्थरबाज़ी आंकड़े बता रहे हैं अलग कहानी
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में बताया कि जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त के बाद पत्थबाजी और उपद्रव की घटनाओं में कमी आई है। हालांकि सरकार के ही उपलब्ध डेटा के मुताबिक ही ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आपको बता दें कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।
राजस्थान के बीजेपी सांसद कनक मल कटारा ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न पूछा था। इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया, 'पांच अगस्त 2019 से 15 नवंबर 2019 के बीच पत्थरबाजी की 190 घटनाएं हुई जिसमें 765 लोगों को गिरफ्तार किया गया। वहीं 1 जनवरी से 4 अगस्त के बीच 361 ऐसे केस दर्ज किए गए थे।' इन गिरफ्तारी में वो लोग शामिल नहीं हैं जिन्हें सीआरपीसी और पीएसए के तहत 5 अगस्त के बाद हिरासत में लिया गया है।
संसद में रेड्डी ने कहा कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पत्थबाजी की घटनाओं में कमी आई है। हालांकि उपलब्ध डेटा के विश्लेषण के मुताबिक जनवरी से 4 अगस्त के बीच हर महीने पत्थरबाजी और उपद्रव की औसतन 50 घटनाएं होती थी लेकिन आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद यह औसत प्रति महीने 55 घटनाओं का हो गया है।
रेड्डी ने बताया कि 5 अगस्त के बाद शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में छात्रों की उपस्थिति कम थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती चली गई और इस समय चल रही परीक्षाओं के दौरान छात्रों की वर्तमान उपस्थित 99.7 फीसदी है। संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि पत्थरबाजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बहुआयामी नीति शुरू की। बड़ी संख्या में परेशानी पैदा करने वालों, भड़काने वालों, भीड़ इकट्ठा करने वालों की पहचान की गई है और उनके विरुद्ध विभिन्न एहतियाती उपाय किए गए हैं।