विकल्पों की कमी जलवायु परिवर्तन की रोकथाम की दिशा में सबसे बड़ी रुकावट: महिंद्रा समूह
भारतीय लोगों का एक बहुत बड़ा हिस्सा कहता है कि वे जलवायु परिवर्तन के बारे में जानते हैं और इस समस्या को दूर करने के लिए उत्सुक हैं। वे यह भी मानते हैं कि उनका व्यवहार हमेशा इस चिंता को प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है। महिंद्रा समूह के शोध के अनुसार, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि किफायती मूल्य पर पर्यावरण के अनुकूल उपयुक्त उत्पादों और सेवाओं की भारी कमी नजर आती है।
महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा के अनुसार, ’हमें लगता है कि जलवायु परिवर्तन इस सदी का सबसे बड़ा अवसर है। हमारा मूल दर्शन यह है कि एक व्यवसाय को बिजनेस के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बेहतर प्रदर्शन करके साझा मूल्य बनाना चाहिए। हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई और इससे उत्पन्न होने वाले व्यापारिक अवसरों को अपना कर साझा मूल्य बनाने का इरादा रखते हैं। यह कार्रवाई का समय है। हमारी दुनिया और हम जिन लोगों से प्यार करते हैं, उन पर जलवायु परिवर्तन के परिणामों से व्यापार को अलग करके नहीं देखा जा सकता।’
इसके अलावा, 83 फीसदी भारतीयों ने ऊर्जा संरक्षण के लिए जीवन शैली में बदलाव करने, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने या इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में अपनी ’दिलचस्पी’ को जाहिर किया है। पानी की कमी के संबंध में, 70 फीसदी उत्तरदाता जल संरक्षण के पर्यावरणीय मुद्दे के बारे में ’जागरूक और अपडेट’ हैं, जबकि 3 में से 2 उत्तरदाता (68 फीसदी) निकट भविष्य में पानी की कमी के बारे में ’चिंतित’ हैं, जिसका सामना देश को करना ही पड़ेगा।
उत्तरदाताओं में से 70 फीसदी अपने नियोक्ताओं की एरेटर का उपयोग करने, वर्षा के पानी का दोहन करने और अपशिष्ट जल को रीसाइकिं्लग करके जल संरक्षण पर काम करने जैसे नीतियों को पसंद करेंगे। भारत की बिजनेस कम्युनिटी से भी भारतीयों की अपेक्षाएं बहुत स्पष्ट हैं। 89 फीसदी का मानना है कि अगर उनके समक्ष वैकल्पिक उत्पादों और समाधानों की पेशकश की जाती है तो वे जलवायु परिवर्तन को अधिक सक्रिय रूप से संबोधित करने में सक्षम होंगे।
शोध के अनुसार, केवल एक चैथाई (27 फीसदी) से अधिक भारतीय प्लास्टिक के उपयोग को कम करने वाले वैकल्पिक उत्पादों को खोजने में सक्षम हैं। 88 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि किफायती और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद या सेवाओं के विकल्प की अनुपस्थिति से उन्हें अपने दैनिक जीवन को और अधिक पर्यावरण अनुकूल तरीके से जीने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
महिंद्रा ग्रुप में चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर अनिर्बान घोष का कहना है, ’जैसा कि अनुसंधान पुष्टि करता है, आज के भारतीयों की पीढ़ी हमारे लंबे इतिहास में किसी भी समय की तुलना में अधिक पर्यावरण की दृष्टि से जागरूक है। हालांकि, इस जागरूकता को कार्रवाई में बदलने के लिए, उपभोक्ताओं को व्यावहारिक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों की आवश्यकता है। बिजनेस कम्युनिटी ऐसे उत्पादों के लिए जवाबदेह मानी जानी चाहिए बल्कि यह उनके व्यवसायिक व्यवहार का तरीका भी होना चाहिए। दूसरे शब्दों में पर्यावरण अनुकूल विकल्प देने के लिए व्यवसायों को मशाल थामनी होगी।’
विकल्प की कमी के चलते जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए लागू की जा रही कार्रवाई पारम्परिक सोच से प्रभावित रहती है। सच्ची सस्टेनबिलिटी अपरंपरागत, व्यापार मॉडल, उत्पादन, सामग्री, बुनियादी ढांचे, वाणिज्यिक प्रस्तावों, मूल्यांकन, आदि के संबंध में वैकल्पिक सोच के माध्यम से प्राप्त की जाएगी। यह प्रक्रिया एक सीध में नहीं चलती, कोई गारंटी भी नहीं है। वास्तव में सच्चा ’अल्टरनेटिविज्म’ एक नए तरह से सोचने वाला मस्तिष्क है, प्रयोग करने और अनुमान लगाने की तत्परता है, अलग ढंग से सोचने की प्रतिबद्धता और नवाचार करने का अवसर है।
महिंद्रा समूह जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौती के मद्देनजर हरित विकल्पों को बढ़ावा देने का इच्छुक है। समूह ने पिछले एक दशक से अपने कारोबार में ग्रीनर प्रोडक्ट्स की पेशकश की है, जिसमें गतिशीलता समाधान, ऊर्जा समाधान, हरित भवन, सूक्ष्म सिंचाई और अन्य प्रौद्योगिकी समाधान शामिल हैं।