कश्मीरियों से बातचीत की आज़ादी की शर्त मानने से मोदी सरकार ने किया था इंकार
यूरोपियन पार्लियामेंट के सदस्य क्रिस डेविस का बड़ा आरोप
नई दिल्ली: यूरोपियन पार्लियामेंट के सदस्य क्रिस डेविस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि कश्मीर में खुले आम घूमने फिरने और लोगों से बातचीत करने की आज़ादी की शर्त लगाने पर उनको कश्मीर दौरे का दिया गया न्योता वापस ले लिया गया और उन्हें यूरोपियन डेलीगेशन के पैनल में जगह नहीं दी गई. उत्तर पश्चिम इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले डेविस के मुताबिक इस दौरे के लिए उन्होंने भारतीय प्रशासन के सामने एक शर्त रखी थी. वो शर्त ये थी कि कश्मीर में उन्हें 'घूमने-फिरने और लोगों से बातचीत करने की आज़ादी दी जाए'.
बीबीसी से बातचीत में डेविस ने कहा, "मैंने कहा कि मैं कश्मीर में इस बात की आज़ादी चाहता हूं कि जहां मैं जाना चाहूं जा सकूं और जिससे बात करना चाहूं, उससे बातचीत कर सकूं. मेरे साथ सेना, पुलिस या सुरक्षा बल की जगह स्वतंत्र पत्रकार और टेलीविजन का दल हो. आधुनिक समाज में प्रेस की स्वतंत्रता बेहद अहम है. किसी भी परिस्थिति में हम समाचारों में कांट छांट की इजाज़त नहीं दे सकते हैं. जो कुछ हो रहा है उसके बारे में सचाई और ईमानदारी से रिपोर्टिंग होनी चाहिए." डेविस के मुताबिक इसी अनुरोध के कुछ दिन बाद उन्हें भेजा गया कश्मीर दौरे का न्योता वापस ले लिया गया.
डेविस के मुताबिक उन्हें कश्मीर दौरे का न्यौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक कथित 'वूमेन्स इकॉनमिक एंड सोशल थिंक टैंक' की ओर से मिला था. इसमें ये स्पष्ट किया गया था कि दौरे के इंतजाम भारतीय प्रशासन के समर्थन से किए जा रहे हैं.