अब्दुल कलाम जैसा सच्चा इन्सान मिलना मुश्किल: डा0 अज़ीज़ कुरैशी
लखनऊ: गोमतीनगर में आज डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ट्रस्ट के अंतर्गत डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का 88वां जन्मदिन के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन हुआ, इस मौके पर मुख्य अतिथि डा0 अज़ीज़ कुरैशी ने कहां जब मै 1984 में राष्ट्र की सुरक्षा कमेटी में सदस्य था और वहां मीटिंग होती रहती थी, जब वहां एक व्यक्ति कोने में बैठा चुप-चाप बस नोट किया करता था, कुछ बोलता न था, जब मैने पता किया ये कौन व्यक्ति है, तो पता चला इनका नाम ए.पी.जे अब्दुल कलाम है। जब ये एक बार भोपाल आये, तो कलाम साहब के लिए बहुत बड़ा कार्यक्रम रखा गया, जब कलाम साहब को पता चला, तो उन्होंने वह कैन्सिल करा दिया और केवल अनाथालय के बच्चों से मिलने की बात की, और वह सिर्फ बच्चों से ही मिले।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा0(ब्रिगेडीयर) टी.प्रभाकर ने अपने भाषण में कहां कि मै अपने को खुशनसीब समझता हूॅं कि मुझे कलाम के साथ वक़्त बिताने का मौक़ा मिला, जब उनका ऑपरेशन हुआ, तो मै भी ऑपरेशन टीम में शामिल था, उनका व्यवहार ऐसा था, कि वह सबको अपना बना लेते थे, मै उनके बुलावे पर पत्नि के साथ राष्ट्रपति भवन भी अतिथि के रुप में गया।
इस अवसर पर काज़ी मेहराज अहमद एडीआरएम उ0रे0 ने अपने भाषण शिक्षा योजना के बारे में बात की उन्होंने कहां बच्चों को 6 से 9 वर्ष के बीच रूचि पता कर लेना चाहिए और बच्चों को रूचि अनुसार ही शिक्षा दिलवाना चाहिए, जबदस्ती उनपर शिक्षा थोपना नहीं चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ट्रस्ट के अध्यक्ष अब्दुल नसीर नासिर ने कहां, कि कलाम साहब की किताब ‘विंगस ऑफ फायर’ में प्रस्तावना अरुण तिवारी जी ने लिखा, जोकि कलाम साहब के साथ काम भी करते थे, उन्होंने लिखा जब मै बीमार था और कलाम साहब देखने आये, तो कलाम साहब ने मुझसे पूछा, तुम क्या चाहते हो, मै उनसे कहां मै जीना चाहता हूॅं। तो कलाम साहब ने जानमाज़ बिछाकर वहीं नमाज़ पढ़ी और हमारे लिए दुआ की, और मै आज तक जिन्दा हूॅं। आगे आफताब ने कहां कलाम साहब इतिहास का एक सुनहरा और क़ीमती पन्ना जिसको नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता हैं।
आगे उन्होंने कहां कि ट्रस्ट ने ये फैसला किया है जिस जगह पर 1 से 2 किमी के क्षेत्र में पाचं से अधिक स्कूल होंगे, उस क्षेत्र में कलाम साहब के नाम से एक छोटा सा पार्क स्थानीय लोगो या सरकार के सहयोग से बनवाया जायेगा और वहां कलाम से जुड़ी सारी मालूमात मौजूद रहेगी, ताकि नई पीढ़ी जाने कि कलाम सहाब का व्यक्तित्व कितना बुलन्द था।
इस अवसर पर 15 अक्टूबर डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जन्मदिन को यू.एन. ने 2010 में विश्व छात्रदिवस के रुप में मनाने की घोषणा की थी, उसी आधार पर ट्रस्ट ने आज विश्व छात्र दिवस पर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर वार्ता के साथ-साथ शिक्षा योजना पर भी बात की गयी। कार्यक्रम का संचालन गुफरान नसीम ने किया।