अपने बच्चो को सिखाइये कि हर एक दूसरा इंसान इंसान है: भाग्यश्री
महिलाओं के लिए न्याय और सशक्तिकरण पर संगोष्ठी का आयोजन, 'कानूनी सहायता प्रकोष्ठ' का गठन
लखनऊ: रण-समर फ़ाउंडेशन की ओर से गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2 अक्तूबर को भूतनाथ मार्केट इन्दिरा नगर मे 'अपने अधिकारों को जानें'(Know Your Rights) विषय पर विषय विशेषज्ञों द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन तथा 'कानूनी सहायता प्रकोष्ठ'(Legal Aid Cell) का गठन किया गया जो की आम जनता खासकर बालिकाएँ और महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रयास करेगा। शहर मे रण-समर फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम मे इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच से न्यायमूर्ति ए आर मसूदी , मुंबई से पधारीं फिल्म मैंने प्यार किया की मशहूर नायिका भाग्यश्री और पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश ओ पी सिंह ने महिला सुरक्षा , सशक्तिकरण और त्वरित न्याय जैसे ज्वलंत और महत्वपूर्ण मुद्दों को समर्थन देने का आश्वासन दिया ।
कार्यक्रम का उद्देश्य कानूनी अधिकारों , त्वरित न्याय ,अशिक्षा, खासकर महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ रहे अपराधों के प्रति जागरूकता पैदा करना ताकि वे अत्याचार और शोषण के प्रति आवाज़ उठा सकें और हम उसे रोकने या कम करने मे अपनी सकारात्मक भूमिका निभा सकें ।
संस्था की अध्यक्षा, मुंबई हाईकोर्ट मे अधिवक्ता तथा पूर्व प्रशाश्निक अधिकारी आभा सिंह ने बताया कि हमारा उद्देश्य अपराध एवं शोषण मुक्त , शिक्षित ,संवेदनशील एवं न्यायप्रिय समाज के निर्माण मे अग्रणी भूमिका निभाना है इन्ही उद्द्येश्यों की पूर्ति हेतु 'अपने अधिकारों को जानें'विषय पर संगोष्ठी और 'कानूनी सहायता प्रकोष्ठ' का गठन किया गया है उन्होने आगे बताया कि वे महिलाओं को न्याय दिलाने और उन्हे स्वावलंबी बनाने के तरीके सिखाएँगी ।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति मसूदी ने कहा कि न्यायपालिका ने अपराधों के पीड़ितों को समयबद्ध तरीके से न्याय दिलाने का लगातार प्रयास किया है। महिलाओं की समाज में दशा पर बोलते उन्होंने सवाल किया कि ऐसा क्यों है महिलाऐं खुद को दबा हुआ महसूस करती हैं, वह खुश क्यों नहीं ,वह अपने को आज़ाद क्यों नहीं समझती है, औरत यह क्यों समझ लिया कि वह गाड़ी का पिछला पहिया है हालाँकि घर परिवार की गाड़ी महिला ही चलाती|
मुंबई से पधारीं सिने अभिनेत्री भाग्यश्री ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है शहर और गाँव मे बहुत अंतर है गाँव मे आज भी लड़कों कि अपेक्षा लड़कियों की शिक्षा पर ज़ोर नहीं दिया जाता । हम महिलाओं की सशक्तीकरण की बात करते हैं लेकिन ये सब बिना एडुकेशन के मुमकिन नहीं है जब महिलाएं शिक्षित और सशक्त होंगी तो वे अपने अधिकारों को जान सकेंगी अपने हक़ और न्याय के लिए आवाज़ उठा सकेंगी । उन्होंने कहा मेरा इतना ही कहना है कि हर किसी को अपने बच्चो को सिखाना चाहिए कि हर एक दूसरा इंसान इंसान है और इंसानियत के नाते उसके साथ एक इंसान की तरह पेश आईये|
कार्यक्रम के अतिथि एवं उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह जी ने कहा कि अभिभावकों को अपने बालक और बालिकाओं को अपनी दो आँखों कि तरह व्यवहार करना चाहिए भेदभाव बिलकुल नहीं करना चाहिए इससे महिला सशक्तीकरण को गति मिलेगी । सरकार द्वारा पहले से ही महिला सुरक्षा पर कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं और महिलाओं की सशक्तीकरण के लिए प्रदेश सरकार गंभीर प्रयास कर रही है
बॉम्बे हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य प्रताप ने महिलाओं को सुरक्षित बनाने के लिए उपलब्ध विभिन्न कानूनों पर एक प्रस्तुति दी।
वर्तिका सिंह, जो रण-समर फाउंडेशन के काम से बहुत प्रभावित हैं, लैंगिक न्याय, समानता, व्यावसायिक कौशल बढ़ाने के क्षेत्र में भी इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया।
ददौरा गाँव की लड़कियां, खुशबू, शमा, मांडवी और सोनी, दादौरा की ग्राम प्रधान कल्पना तिवारी, के साथ कार्यक्रम मे आई थीं । इन लड़कियों ने रण – समर फाउंडेशन द्वारा आयोजित कौशल विकास कक्षाओं में मोमबत्तियां बनाना सीखा है, जिन्हें मेहमानों को प्रस्तुत किया गया । 200 से अधिक लड़कियों को उनके भविष्य के लिए आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
संगोष्ठी के दौरान बच्चों और कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति की गयी जिसमे कई कलाकारों के उत्कृष्ट प्रदर्शन जिसमे गायन, नृत्य आदि प्रस्तुतियाँ शामिल थी सबको आनंदित कर दिया ।
इस मौके पर समाज सेविका ताहिरा हसन, गौरव प्रकाश, अर्चना प्रसाद , कनक रेखा चौहान, शहर के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, साहित्यकार, शिक्षाविद , प्रशाश्निक अधिकारियों सहित शहर के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे । अंत में, सभी ने राष्ट्र के पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की और अहिंसा, शांति और अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने का वादा किया।