Book Fair: पुस्तक प्रेमियों को खींच रहा किताबों का संसार
लखनऊ: राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल वाटिका लान में 20 सितम्बर से जारी राष्ट्रीय पुस्तक मेला के तीन दिन आगे बढ़ने की खबर पाकर हैदरगढ़ से आए अतुल ने कहा- आ नहीं पा रहा था। मेला बढ़ गया तो 18 सौ की किताबें ली हैं, कुछ बच्चों की भी लीं। गांधी जयंती पर फिर आऊंगा। मुसाफिरखाना के विनोद पाण्डेय ने कालेज लाइब्रेरी के लिए साढ़े सात हजार की पुस्तकें लीं, बोले- अनुमति वगैरह में इतना टाइम लग गया अगर मेला बढ़ता न तो फिर शायद सारी कार्रवाई के बाद भी इस साल रह जाता।
ये तो दो उदाहरण मात्र हैं। ऐसे ही और भी पुस्तक प्रेमी होंगे जो दो अक्टूबर तक बढ़ गये मेले में आएंगे। निःशुल्क प्रवेश और रोज सुबह 11 से रात नौ बजे तक चलने वाले इस मेले में साहित्य प्रेमी बड़ी तादाद में आ रहे हैं। विभागीय अनुमति और टेªन आरक्षण जैसी दिक्कतो के कारण उर्दू कांउसिल, सिंधी काउंसिल, प्रकाशन विभाग जैसे कुछ स्टाल चले गये हैं वहीं राजकमल, राधाकृष्ण, प्रभात, निखिल, राजपाल सम्यक जैसे साहित्यिक पुस्तकों के बहुत से स्टाल पुस्तक प्रेमियों की पहली पसंद बने हुए हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की तलाश में युवा वर्ग भी यहां खूब दिखाई दे रहा है।
मेले में आकाशवाणी के स्टाल पर बड़े गुलाम अली खां, बिस्मिल्ला खां, बेगम अख्तर जैसे दिग्गज शास्त्रीय कलाकारों की सीडी बिक रही है। मेले मे अध्यात्मिक साहित्य के स्टालों पर भी भीड़ दिखाई दे रही है। दिव्यांश पब्लिकेशन के स्टाल पर ज्ञानबिहारी मिश्र का उपन्यास रक्त शास्त्र नई पुस्तक है तो भविष्य को सामने रखने वाली डा.राजेन्द्र प्रसाद व अरुणा की औपन्यासिक कृति डगर 2034 पुस्तक प्रेमियों को पसंद आ रही है। हिन्दी वांग्मय निधि के स्टाल पर स्थानीय लेखकों की बहुत सी किताबें हैं।
मेले के संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बताया कि स्थगित हुए कार्यक्रमों को कल और अंतिम दिन सुविधा के हिसाब से तय किया जा रहा है। कल सुबह 11 बजे से मेले में तुलसी-मीर फाउण्डेशन की ओर से कवि सम्मेलन का आयोजन है तो उसके बाद तीन बजे से वसुंधरा फाउण्डेशन के तत्वावधान में साहित्कि संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसके उपरांत चार बजे से वागीश्वरी प्रसाद की पुस्तक बहका हुआ हूं बार-बार का लोकार्पण कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। कल शाम छह बजे से कथाकथन की ओर से कलाकारों द्वारा लाल हवेली, कर्ज, छोटा जादूगर व बूढ़ी काकी जैसी कहानियों का अभिव्यक्तिमय पाठ होगा। इसी क्रम में डा.अमिता दुबे के कथा संग्रह ‘सीढ़ी’ के विमोचन का कार्यक्रम तय है। ज्यादातर लोग अंतिम दिन कार्यक्रम करना चाहते हैं इसलिये दो अक्टूबर के आयोजन भी तय करने में थोड़ा टाइम लग रहा हैं।