एक क्लासिक बॉलीवुड फिल्म का मशहूर डायलॉग है, ’दोस्ती की है तो निभानी तो पड़ेगी ही’। यह डायलॉग आपको अतिरंजित लग सकता है लेकिन आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजे कहते हैं कि वास्तव में ऐसा ही हो रहा है। हाल में की गई अपनी एक स्टडी में कहा है कि भारतीय अपने दोस्तों के साथ (उर्फ ’बड्डीकेशन’ के साथ) छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं और दोस्तों के ग्रुप के अनुसार चलते हुए अपनी निजी इच्छाओं का बलिदान भी करना पड़े तो खुशी-खुशी करते हैं! सर्वेक्षण के नतीजे कह रहे हैं कि लखनऊ में स्कूल या कॉलेज के दोस्तों को अपनी सालाना एल्युमनी मीट (17 फीसदी) की तुलना में साल में एक बार ’बड्डीकेशन’ (19 फीसदी) की कहीं अधिक इच्छा होती है। इसके अलावा, अध्ययन से पता चला कि लखनऊ के लगभग 97 प्रतिशत लोग अपने परिवार की बजाय अपने दोस्तों के साथ छुट्टी का आनंद लेना चाहते हैं। अध्ययन से यह भी पता चला, कि लगभग 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ’सफर के लिए सही साथी’ के रूप में करीबी दोस्तों और साथ में काम करने वालों को चुना। सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से मुंबई (29 फीसदी), अहमदाबाद (26 फीसदी) और हैदराबाद (22 फीसदी) के लोग साल में एक बार अपने दोस्तों के साथ वैकेशंस मनाने का इरादा रखते हैं, वहीं चेन्नई (32 फीसदी) और दिल्ली (22 फीसदी) में उत्तरदाता अपने स्कूल या कॉलेज के दोस्तों से अपनी एनुअल एल्युमनी मीट में मिलना कहीं अधिक सही मानते हैं। लखनऊ के अधिकांश उत्तरदाता, वैकेशंस को बहुत सकारात्मक संदर्भों में लेते हैं – 66 फीसदी उत्तरदाताओं ने यादगार क्षण बनाने और दोस्तों के साथ गुणवत्ता समय बिताने के लिए छुट्टी लेने की बात कही, जबकि 13 प्रतिशत लोग मानते हैं कि दोस्तों के साथ छुट्टी बिताना उनके लिए रोजमर्रा के रूटीन से हटकर कुछ पल सुकून के बिताने जैसा है। सर्वे बताता है कि लखनऊ के ‘नवाबों‘ को अपने यार-दोस्तों के साथ कुछ एडवेंचर करने में कोई बुराई नजर नहीं आती, जबकि 42 प्रतिशत उत्तरदाता बड्डीकेशन को कुछ नई एडवेंचर गतिविधियां आजमाने का एक अवसर मानते हैं।भारत की आम आबादी के यात्रा पैटर्न में भी बदलाव दर्ज किए गए हैं। भारतीय नए स्थानों और अनुभवों को एक्सप्लोर करने के लिए अपने परिवारों की बजाय बड्डी यानी मित्रों के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। यह भारत में एक व्यापक होती प्रवृत्ति का प्रतिबिंब है जहां युवा लोग परिवार की छुट्टी पर ’बड्डीकेशन’ चुन रहे हैं। स्काईस्कैनर इंडिया के अनुसार, 24 फीसदी सहस्राब्दी पीढ़ी के ट्रैवलर अपने दोस्तों के साथ यात्रा करना पसंद करते हैं, जबकि अपने परिवार के साथ यात्रा करने वालों का हिस्सा तुलनात्मक रूप से 17 फीसदी है।

सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, यह देखा गया कि घूमने की योजना बनाते समय यह ’याराना’ या ’बड्डीकेशन’ निभाने के लिए व्यक्ति अपने दोस्तों के लिए अपनी निजी पसंद का बलिदान करने से भी नहीं हिचकते। 4 में से 3 उत्तरदाताओं (52 फीसदी) ने स्वीकार किया कि उन्हें अपने दोस्तों की पसंद का ध्यान रखने के लिए अक्सर अपनी पसंदीदा गंतव्य का मोह छोड़ना पड़ता है।इस सर्वेक्षण के नतीजों की चर्चा करते हुए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री संजीव मंत्री ने कहा, ’आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में, हमारी ब्रांड प्रतिबद्धता सभी वादे निभाने के बारे में है और वास्तव में यही सच्ची दोस्ती का आधार भी है। दोस्तों के साथ संबंधों को तरोताजा करने, एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने और समूह के फैसले की खुशी को महसूस करने के लिए ’बड्डीकेशन’ वाली वैकेशंस तेजी से बढ़ रही हैं। अपनी नहीं, सबकी खुशी के बारे में सोचना यही आधुनिक ’बड्डीकेशन’ का सार है।’सर्वेक्षण बड्डीकेशन के दौरान निर्णय लेने पर दोस्ती के भारी पड़ने के उदाहरण भी पेश करता है। जैसे हर चार में से तीन उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने एक साइट / स्थान पर जाना टाल दिया क्योंकि उनके दोस्त कहीं और जाना चाहते थे। इस तरह के निर्णय अक्सर अनिश्चितता पैदा करते हैं। हमारे सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि वास्तव में लोग अलग-अलग स्थितियों में पड़ने और रोमांच का सामना करना चाहते हैं लेकिन अगर दोस्त न हो तो शायद ही वे इसके लिए तैयार हों। केवल 36 फीसदी लखनऊ वासियों ने स्वीकार किया कि वे अपनी छुट्टी पर जाने से पहले यात्रा बीमा खरीदना सुनिश्चित करेंगे, जबकि 35 फीसदी ने कहा कि वे ऐसे दोस्तों को साथ ले जाना या उनसे बात करके जाना पसंद करेंगे, जिन्होंने उस गंतव्य की यात्रा पहले से कर रखी हो।

श्री संजीव मंत्री आगे कहते हैं, ’एक ब्रांड के रूप में, हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब व्यक्ति अपने दोस्तों के साथ यात्रा कर रहे हो तो उनका ध्यान सिर्फ उनकी प्राथमिकताओं पर रहे और यात्रा का लुत्फ उठाएं। हालांकि, यह बहुत जरूरी है कि वे अपनी यात्रा को एक व्यापक यात्रा बीमा पॉलिसी के साथ सुरक्षित करें। अब यह विलासिता नहीं बल्कि एक जरूरत है।जब बड्डीकेशन में आप अलग-अलग लोगों की पसंद-नापसंद के साथ चलते हैं तो किसी भी एक मत पर आकर टिकना मुश्किल हो जाता है, चाहे वह यात्रा गंतव्य हो या व्यंजन या अपनी पसंद की कोई गतिविधि, कुछ भी झगड़े या मतभेद का कारण बन सकता है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने इस धारणा को दूर करते हुए पुष्टि की है कि उत्तरदाता अपने मित्रों को समायोजित करने के लिए अपनी पसंद और वरीयताओं को खुशी से छोड़ देंगे। तीन में से दो ने स्वीकार किया कि वे जगह की पसंद को अपने दोस्तों पर छोड़ देंगे, जबकि उत्तरदाताओं के 63 फीसदी ने कहा कि दोस्तों के लिए वे अपनी पसंदीदा गतिविधि का त्याग करने से भी नहीं चूकेंगे। बिरयानी के लिए मशहूर शहर का कहना है कि दोस्ती और साथ में खानेपीने से संबंध मजबूत होती है। 59 फीसदी ने कहा कि वे वोट करेंगे और दोस्तों का बहुमत जो भी तय करेगा, वह मिलजुल कर खा लेंगे। 53 फीसदी ने कहा कि वे देर से आने मित्र के लिए खाना और दूसरी सुविधाएं एडजस्ट करेंगे और बचाएंगे ताकि सब समय पर निकल सकें।सर्वेक्षण ने यात्रियों की घुमक्कड़ी के बारे में कुछ गहरी अंतर्दृष्टि भी प्रदान की है, जिनसे यात्रियों के सेवा प्रदाता सीख सकते हैं। सर्वेक्षण ने यात्रियांे की अब तक अज्ञात कुछ आदतों और व्यवहारों को डिकोड किया। दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद, चेन्नई और मुंबई के लगभग 1555 उत्तरदाताओं का साक्षात्कार लिया गया था