कश्मीर पर इमरान खान की हर बात झूठ है
भारत ने UN में पाक पीएम के भाषण का दिया जवाब
न्यूयोर्क: भारत ने शनिवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण का माकूल जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने 'राइट टू रिप्लाई' के तहत कहा कि इमरान खान ने जो कुछ भी कश्मीर को लेकर कहा वह झूठ है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भड़काऊ बयान दिया। मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान इस बात से इनकार करेगा दुनिया में सिर्फ वहां की सरकार ही है जो संयुक्त राष्ट्र की अल कायदा और दाएश प्रतिबंध सूची में मौजूद आतंकियों को पेंशन देती है।
विदिशा मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान ने यूएन के मंच का दुरुपयोग किया और गुमराह करने की कोशिश की। मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान ने खुलेआम आतंकी ओसामा बिन लादेन का बचाव किया था। उन्होंने कहा, ''क्या पाकिस्तान यह स्वीकार करेगा कि यह (पाकिस्तान) दुनिया की एकमात्र सरकार है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित अल-कायदा और अन्य आतंकियों को पेंशन देती है?''
मैत्रा ने आगे कहा, ''पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति बदतर है और उनपर जुल्म हो रहे हैं। 1947 की तुलना में आज कुछ प्रतिशत भर अल्पसंख्यक बचे हैं।''
विदिशा ने आगे कहा कि परमाणु हमले की धमकी देकर इमरान खान ने अस्थिरता पैदा करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि वह क्रिकेटर रह चुके हैं और इसे जेंटलमैन का गेम माना जाता है लेकिन आज की स्पीच में उन्होंने (इमरान खान) अपरिपक्वता का परिचय दिया है।
भारत ने यूएन में इमरान के दिए भाषण को हेट स्पीच बताते हुए कहा कि उन्होंने इस वैश्विक मंच का दुरुपयोग किया है। भारत ने इमरान के नस्लीय संहार, ब्लड बाथ, नस्लीय सर्वोच्चता, बंदूकें उठा लो, आखिर तक लड़ेंगे जैसे एक-एक शब्दों को गिनाते हुए कहा कि यह उनकी मध्यकालीन मानसकिता को दिखाता है। विदिशा ने यूएन में स्पष्ट कहा कि इमरान खान की बोली हर बात झूठ है।
विदिशा ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है। पीएम इमरान खान नियाजी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1971 में पाकिस्तान ने अपने ही लोगों पर अत्याचार किए थे और इसी कारण बांग्लादेश की स्थापना की गई थी। विदिशा ने कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां अल्पसंख्यक समुदाय 1947 में 23 फीसदी से सिकुड़कर 3 फीसदी रह गया है। पाकिस्तान में ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्तून, सिंधी और बलूचों को ईश निंदा कानून के तहत प्रताड़ित किया जाता है और वे जबरन धर्मांतरण का शिकार हो रहे हैं।
मैत्रा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 एक आउटडेटेड और अस्थायी प्रावधान था, और इससे वहां के विकास में रूकावट आ रही थी। विदिशा मैत्रा ने कहा कि जहां पाकिस्तान आतंकवाद और नफरत की बात कर रहा है वहीं पर भारत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहा है। विदिशा मैत्रा ने कहा कि भारत के लोगों को वैसे शख्स से भाषण कतई नहीं चाहिए जो नफरत की विचारधारा का पालन करते हुए आतंक को उद्योग का रुप दे चुका है।
कश्मीर मसले पर इमरान खान ने शुक्रवार को कहा था कि भारत को कश्मीर में ‘अमानवीय कर्फ्यू’ हटाना चाहिए और सभी बंदियों को रिहा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव, शिमला समझौते और स्वयं अपने संविधान का उल्लंघन किया है। खान ने कहा, ‘‘विश्व समुदाय क्या कर सकता है..क्या वह 1.2 अरब की आबादी का तुष्टिकरण करेगा या वह न्याय एवं मानवता के लिए खड़ा होगा। ’’ भारत द्वारा कर्फ्यू हटाये जाने के बाद कश्मीर में स्थिति बिगड़ने का दावा करते हुए खान ने कहा, ‘‘आप सर्वोत्तम की उम्मीद करिए किंतु सबसे बुरे के लिए तैयार रहिए।’’
उन्होंने कहा कि जब कर्फ्यू हटेगा तो कश्मीर में प्रतिक्रिया होगी और भारत पाकिस्तान पर दोषारोपण करेगा। उन्होंने पुलवामा आतंकवादी हमले और उसके बाद पैदा हुई स्थिति का परोक्ष संकेत देते हुए कहा, ‘‘दो परमाणु संपन्न देशों के बीच आमने सामने की तनातनी होगी, जैसा कि हमने फरवरी में देखा।’’
खान ने कहा कि यदि दोनों देशों के बीच पारंपरिक युद्ध हुआ तो कुछ भी हो सकता है। एक देश, जो अपने पड़ोसी से सात गुना छोटा है, उसके सामने यह परिस्थिति है..या तो आप आत्मसमर्पण कर दे अथवा आप अपनी स्वतंत्रता के लिए मृत्युपर्यन्त लड़ता रहे।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में उनका देश लड़ेगा और जब एक परमाणु हथियार क्षमता संपन्न देश अंत तक लड़ता है तो इसके नतीजें सरहदों से परे चले जाते हैं..इसके विश्व के लिए नतीजें होंगे…’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस दिशा में आगे बढ़ें, इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की एक जिम्मेदारी है। इसी कारण से संयुक्त 1945 में अस्तित्व में आया था। उम्मीद की जाती है कि आपको इसे होने से रोकना है।’’