मुंबई: RBI ने प्राइवेट बैंक लक्ष्मी विलास बैंक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क में डाल दिया है. लक्ष्मी विलास बैंक ने RBI की ओर से उठाए कदम की जानकारी शनिवार को दी है. आपको बता दें कि RBI नेट एनपीए ज्यादा होने, अपर्याप्त कैपिटल टू रिस्क-वेटेड असेट्स रेश्यो (CRR) और कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) जैसी वजहों के चलते बैंकों को PCA में डाल देता है. PCA में शामिल बैंकों की हालत जब तक नहीं सुधरती, तब तक ये कोई बड़ा नया कर्ज नहीं दे सकते हैं. इससे पहले भी कई बड़े सरकारी बैंक PCA में आ चुके है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार को बैंक के डायरेक्टर्स पर धोखाधड़ी के आरोप लगे थे. इसके बाद उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच शुरू हो गई है. बैंक अधिकारियों पर 790 करोड़ रुपए के गबन के आरोप हैं. आपको बता दें कि वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने केस दर्ज किया था.

रेलिगेयर का कहना है कि उसने 790 करोड़ रुपए की एफडी की थी, जिसमें से हेरा-फेरी की गई है. पुलिस ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि पैसों में हेराफेरी योजना बद्ध तरीके से की गई. ये रिपोर्ट शुक्रवार को सामने आई.

बैंक के निदेशकों पर केस दर्ज होने की खबर से बीएसई पर शेयर शुक्रवार को 4.94% गिरावट के साथ 36.55 रुपए पर बंद हुआ. एनएसई पर 4.95% नीचे 36.50 रुपए पर बंद हुआ है.

क्यों लक्ष्मी विलास बैंक को PCA में डाला गया है-पीसीए फ्रेमवर्क के मुताबिक आरबीआई को जब लगता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है. आय नहीं हो रही या एनपीए बढ़ रहा है तो उस बैंक को पीसीए में डाल दिया जाता है. पीसीए में शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते और नई ब्रांच नहीं खोल सकते. आपको बता दें कि अभी तक -यह पता नहीं चल पाया है कि लक्ष्मी विलास बैंक पर कौन-कौन से प्रतिबंध लागू होंगे.

बैंक के पीसीए में होने पर ग्राहकों पर कोई खास असर असर नहीं होता है. ये बैंक अपनी शाखाओं का विस्तार नहीं कर पाते है. साथ ही, नई भर्तियां भी रोक दी जाएंगी. लिहाजा रोज़गार के नए अवसर नहीं बनेंगे. किसी बैंक के पीसीए में रखे जाने पर उसके ग्राहकों को फिक्र करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि आरबीआई ने 'बासेल मानकों' के अनुरूप बैंकों की वित्तीय सेहत दुरुस्त रखने के लिए पीसीए फ्रेमवर्क बनाया है, ताकि बैंक अपनी पूंजी का सदुपयोग कर सकें और जोखिम का सामना करने को तैयार रहें.

आरबीआई तीन अलग-अलग रिस्क कैटेगरी में बैंकों को पीसीए में रखता है और उन पर कुछ बंदिशें लगाता है. आसान भाषा में कहें तो जो बैंक रिस्क कैटेगरी टू में रखे जाते हैं वे न तो नई शाखा खोल पाते हैं और न ही उधार दे पाते हैं.

आरबीआई ने देना बैंक पर नया कर्ज देने पर रोक लगा दी है. वे ऊंची ब्याज दर पर जमाराशि भी नहीं ले पाते हैं. साथ ही भर्तियों पर भी रोक लग जाती है. आरबीआई इनका स्पेशल ऑडिट कराता है. साथ ही इन बैंकों के प्रमोटरों यानी मालिकों को और पूंजी भी लगानी पड़ती है.