भारत पर कर्ज 4 फीसदी बढ़कर हुआ 88.18 लाख करोड़ रुपये
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि जून की तिमाही के अंत तक देश का कर्ज बढ़कर 88.18 लाख करोड़ हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर कर्ज बढ़ गया है। पिछले साल इसी तिमाही के दौरान देश पर 84.6 लाख करोड़ का कर्ज था। भारत पर कर्ज का आंकड़ा पिछली तिमाही से 4 फीसदी बढ़ गया है।
बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक आर्थिक मामलों के पब्लिक डेब्ट मैनेजमेंट सेल के आंकड़ों में कहा गया है कि जून 2019 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारी में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.4 प्रतिशत रही है। बयान में कहा गया है कि केंद्र ने “दिनांकित प्रतिभूतियां” (डेटेड सिक्योरिटिज़) जारी की है जिसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में (डेटेड सिक्योरिटिज़) 2.2 लाख करोड़ की है जबिक वित्त वर्ष 2019 के पहले तिमाही में यह 1.4 लाख करोड़ रही है। प्रतिभूतियों के यील्ड में हालांकि पहली तिमाही में गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल-जून 2019 तिमाही में औसत भारित यील्ड 7.21 फीसदी रहा, जो जनवरी-मार्च 2019 तिमाही में 7.47 फीसदी था।
इन आंकड़ों के सामने आते ही कांग्रेस केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने शनिवार को मीडिया में आई खबरों का हवाला देते दावा किया कि देश का कुल कर्ज बढ़कर 88.18 लाख करोड़ रुपये हो गया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि ”भारत में सब अच्छा है।” पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार आम जनता को राहत देने की बजाय कारपोरेट जगत को राहत दे रही है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, सिर्फ यह बोल देने से सब अच्छा नहीं हो जाता कि भारत में सब अच्छा है। सुप्रिया ने कहा, इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत का कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह इससे पहली की तिमाही के मुकाबले करीब चार फीसदी अधिक है। यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, फ्रांस की एक महारानी ने कहा था कि रोटी के बदले केक खाओ। ऐसा लगता है कि यह सरकार भी इसी रास्ते को अपना रही है।
उसे जमीनी हकीकत का अंदाजा नहीं है। आम लोगों के पास पैसे नहीं है और कारपोरेट के कर में कमी कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया, कारपोरेट इससे अपना बहीखाता ठीक करेंगे और निवेश नहीं करेंगे। सरकार जो कदम उठा रही है उससे कर्ज की दर बढ़ेगी। यह सरकार बहुत लघुकालिक सोच के साथ काम कर रही है।