जीव विज्ञान श्रेणी में सीडीआरआई को मिला सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी पुरस्कार
नई दिल्ली: ऑस्टियोपोरोसिस से हड्डियां कमजोर होती हैं और हड्डी टूटने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा, सड़क यातायात दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप होने वाली हड्डी की चोटें भारत में एक प्रमुख और बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। वर्तमान में राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एफडीए द्वारा अनुमोदित फ्रैक्चर ठीक करने वाली दवा उपलब्ध नहीं है। ओपन टिबियल फ्रैक्चर के लिए एफडीए द्वारा रिकॉम्बिनेंट ह्यूमन बोन मोर्फोजेनेटिक प्रोटीन -2 (आरएचबीएमपी-2) बोन ग्राफ्ट (इंफ़्यूस® बोन ग्राफ्ट) को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि, BMP2 के उपयोग में कई क्लीनिकल जटिलताओं के कारण बाधा उत्पन्न होती है जिसमें सर्जरी के पश्चात की सूजन, सिस्ट जैसी हड्डी का गठन और धमनियों की सूजन आदि शामिल है। इसके अलावा, यह बहुत महंगा है। इंफ़्यूस® बोन ग्राफ्ट के पैकेज की कीमत $ 2,500 से $ 5,000 अमरीकी डॉलर है।
सीएसआईआर-सीडीआरआई ने अपने नवीन उत्पाद एस-008-399 की तकनीक को मेसर्स ऑर्थो रीजेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (ओआरपीएल), हैदराबाद को एक सशक्त फ्रैक्चर उपचार यौगिक के रूप में 26 सितंबर 2018 को हस्तांतरित किया था। निदेशक, प्रोफेसर तपस कुमार कुंडू ने बताया, की यह कंपनी, सीडीआरआई यौगिक एस-008-399 का उपयोग ऑस्टियोइंडक्टिव मेटल एलोय (मिश्र धातुओं) के साथ संयोजन करके हड्डी के फ्रैक्चर के त्वरित उपचार हेतु बायोडिग्रेडेबल बोन इंप्लांट (स्वतः विघटित होने वाले अस्थि प्रत्यारोपण सामग्री) बनाने के लिए उपयोग करेगी। जो नवीन अस्थि कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होंगे एवं बायोडिग्रेडेबल होने के साथ-साथ उन्नत यांत्रिक शक्ति (मेकेनिकल स्ट्रेंग्थ) भी प्रदान करेंगे।
सीएसआईआर-सीडीआरआई की टीम के डॉ अतुल गोयल, डॉ दिव्या सिंह एवं उनके शोध छात्रों ने सिंथेटिक यौगिक सीडीआरआई-एस008-399 तैयार किया है जो न सिर्फ तेजी से अस्थि के फ्रेक्चर का उपचार करता है बल्कि अस्थियों में खनिज घनत्व को बढ़ा कर अस्थिक्षय को रोकता है। अपने अनुसंधान में उन्होने पाया की यौगिक सीडीआरआई-एस008-399 की 5 मिलीग्राम/किलोग्राम शारीरिक भार जैसी न्यूनतम खुराक पर भी चूहों की पैर की हड्डी (फिमोरल मिड डायफायसिस रीज़न) के फ्रेक्चर में अस्थियों की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण कर फ्रेक्चर में त्वरित सुधार लाता है। यह यौगिक बहुत ही किफ़ायती है एवं यह अस्थि निर्माण के लिए आवश्यक कोशिकाओं के विकास और उनके पुनर्जनन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण बोन मोर्फ़ोजेनेटिक प्रोटीन के स्राव को बढ़ाकर नई अस्थि के निर्माण को भी प्रेरित करता है।
वर्तमान संदर्भ में इस तकनीक की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि भारत में लगभग 50 मिलियन से अधिक ऑस्टियोपोरोटिक रोगी हैं एवं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी अधिक प्रचलित है। ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियां खोखली एवं कमजोर हो जाती हैं जिससे वे और उन्हें फ्रेक्चर के प्रति और अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। ओआरपीएल एवं सीडीआरआई द्वारा विकसित किए जाने वाले ये मेडिकेटेड बायोडिग्रेडेबल बोन इंप्लांट कम लागत वाले होंगे एवं प्रत्यारोपण सर्जरी की लागत को भी कम कर देंगे। धातु वाले बोन इंप्लांट की तुलना में ये बायोडिग्रेडेबल होने की वजह से फैक्चर के स्थान पर नई हड्डी के गठन की प्रक्रिया के दौरान अवशोषित हो जाएंगे, इसलिए इन्हें हटाने के लिए पुनः सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी तथा साथ ही नॉन डिग्रेडेबल (मेटेलिक) इंप्लांट की तुलना में जहां अन्य संक्रमण और आंतरिक चोट या टूट-फूट की घटनाएँ बहुत आम हैं, के प्रति भी अधिक सुरक्षित होंगे।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 77 वें सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह के भव्य समारोह में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा सीएसआईआर सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी पुरस्कार-2019 से संस्थान के निदेशक एवं अनुसंधानकर्ताओं को सम्मानित किया गया।