नई दिल्ली: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने सोमवार (16 सितंबर) को दावा किया कि जो लोग राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी का विरोध कर रहे हैं, वे देश से प्यार नहीं करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हैं अथवा हिंदी थोपने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।

देश के अधिकतर लोग बोलते हैं हिंदीः मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रभाषा के तौर पर जो लोग हिंदी का विरोध कर रहे हैं, ये वो लोग हैं जिनके मन में देश के लिए प्यार नहीं है। मैं राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी का समर्थन करता हूं क्योंकि देश में अधिकतर लोग हिंदी बोलते हैं।’’उन्होंने कहा कि यदि अंग्रेजों ने 200 वर्षों तक भारत में शासन नहीं किया होता, तो देश में आधिकारिक कार्यों में अंग्रेजी का कोई इस्तेमाल नहीं होता।आधिकारिक भाषा अधिनियम 1963 के अनुसार केंद्र सरकार और संसद के लिए हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषा है।

हिंदी भाषा पूरे देश को करती है एकजुटः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 14 सितंबर को दिए गए बयान का समर्थन करते हुए देव ने कहा, ‘‘औपनिवेशिक शासन के प्रति निष्ठा के कारण, अंग्रेजी कई लोगों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई है।’’गौरतलब है कि शाह ने कहा था कि एक भाषा के रूप में हिंदी पूरे देश को एकजुट कर सकती है।

बता दें कि हिंदी दिवस के अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी के माध्यम से पूरे देश को जोड़ने की अपील की थी। शाह ने हिंदी दिवस के ट्वीट किया था,’भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परंतु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।