महापुरुषों के बलिदान को समझना ही, सामाजिक क्रांति है : लक्ष्य
लखनऊ: लक्ष्य कमांडर संघमित्रा गौतम, रेखा आर्या व् लक्ष्य युथ कमांडर विनय प्रेम ने " गांव गांव भीम चर्चा" अभियान के तहत लखनऊ के इटौंजा के गांव खेरिया का दौरा किया और लोगो के साथ एक भीमचर्चा भी की |
महापुरुषों के बलिदान को समझना ही, सामाजिक क्रांति है | जिस समाज के लोग अपने महापुरुषों के बलिदान को ईमानदारी से समझते है वे लोग कभी भी लाचार नहीं होते है वे लोग सामाजिक क्रांति के अर्थ को ईमानदारी की गहराई से समझते है | ऐसे ही लोग समाज के प्रति ईमानदार व् समर्पित होते है, ऐसे ही थे हमारे मान्यवर कांशीराम जी जिन्होंने महापुरुषों के योगदान को ईमानदारी से अपने दिल और दिमाग में उतार लिया था और जिसका परिणाम हम सब के सामने है | उन्होंने सामाजिक क्रांति की बयार को व् राजनीति के मायनो को बदल कर रख दिया तथा दबे कुचले लोगो को देश का हुकमरान बना दिया, हम सब लोग इस बात के गवाह है | यह बात लक्ष्य कमांडर रेखा आर्या, संघमित्रा गौतम व् लक्ष्य युथ कमांडर विनय प्रेम ने अपने सम्बोधन में कही |
उन्होंने कहा कि आज समाज जागरूक तो दिखाई देता है लेकिन समाज के ज्यादातर लोग अपने समाज के प्रति गंभीर व् जिम्मेदार नहीं दिखाई देतें है वो अपने स्वार्थ में सामाजिक क्रांति की परिभाषा को बदलते रहते है और यही कारण है कि महापुरुषों की सामाजिक व् राजनितिक क्रांति अधर में दिखाई देती है | उन्होंने कहा कि यह और भी दुखद हो जाता है जब बहुजन समाज के लोग कही अपने धन का दिखावा करते है या फिर समाज में अपने ओहदे की धौंस सी दिखाते है | ऐसे स्वार्थी लोगो को याद रखना चाहिए की जो भी आज आप लोगो को मिला है वो मात्र बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के अथक प्रयासों का परिणाम है हमें इन संबका इस्तमाल अपने महापुरुषों के कारवां को आगे बढ़ाने में लगाना चाहिए |
इस भीम चर्चा में धर्मेंद्र गौतम, सुधाकर राव, बुद्धा प्रिया गौतम, विजय कुमार, बाबू लाला व् सीताराम ने भी अपनी बात रखी |