महंगी बिजली के खिलाफ किसानों का 21 सितम्बर को प्रदेशव्यापी आंदोलन
लखनऊ: उ0प्र0 किसान सभा ने भाजपा नीति योगी सरकार द्वारा बिजली दरों में हर क्षेत्र में की गयी भारी अन्यायपूर्ण वृद्वि की निंदा करते हुए घोषणा से ही प्रदेशभर में किये जा रहे प्रतिरोध को आगे बढाते हुए 21 सितम्बर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के साथ ही आंदोलन को जारी रखने का ऐलान किया है। किसानो सहित जनता के सभी हिस्सो से अपील की कि वे सडकों पर उतरकर विरोध में हिस्सेदारी कर सरकार को वृद्वि वापस लेने पर मजबूर करें।
किसान सभा के प्रांतीय महामंत्री मुकुट सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बिना मीटर बालों पर 25 फीसदी, किसानो के टयूवबैल पर 14 फीसदी, शहरी घरेलू 15 फीसदी, व्यापारियो-दुकानदारो पर 9 फीसदी, उद्योग पर 5 फीसदी की वृद्वि के साथ ही भवन निर्माण के लिए अस्थायी कनेक्शन पर 8 रू0 प्रति यूनिट कर वृद्वि को भाजपा सरकार ने लागू कर दिया है। अन्य प्रदेशो की अपेक्षा यहां सर्वाधिक महंगी बिजली है, योगी सरकार ने दूसरी बार यह वृद्वि की है।
शहरो व ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुध बिजली कटौती, स्थानीय फाल्ट, फुके ट्रांसफार्मर समय से ना बदलने, कृषि क्षेत्र में 10 घण्टे से भी कम बिजली सप्लाई से इस मौसम में चह्ुंओर हा-हाकार है।
किसान नेता ने आगे बताया कि इस वृद्वि को सरकार ने आनन-फानन में लागू कर दिया जबकि आयोग के ही टैरिफ के अनुसार उपभोक्ताओ का बिजली कम्पनिया बकाया रू0 13337 करोड वापस नही कर रही है, इसपर योगी सरकार खामोश है।
तथाकथित घाटा पूरा करने-बकाया वसूली और चोरी रोकने के नाम पर हेवी पैनल्टी, एफआईआर, जेल तथा संगणना में हेराफेरी, तेज गति के मीटरों से ज्यादा बिलिंग आदि से जनता का उत्पीडन और अवैध वूसली की जा रही है।
सरकार घाटे का रोना रो रही है किंतु सरकारी क्षेत्र में उत्पादित सस्ती बिजली ना लेकर देशी-विदेशी कारपोरेटस से महंगी बिजली खरीद रही हैं। बिजली के निजीकरण की बडी साजिश रची जा रही है।
बिजली विभाग में बडे पैमाने पर पद रिक्त है। ठेका व संविदा पर काम लिया जा रहा हैं अर्जित वेतन का भुगतान नही किया जा रहा है। 19 सितम्बर को लखनऊ में होने वाले संयुक्त सम्मेलन में बिजली कर्मी, अधिकारी, मजदूर किसानो के बडे साझा आंदोलन का ऐलान किया जायेगा।