सेना प्रमुख बोले-आर्मी पूरी तरह तैयार, पीओके पर सरकार करे फैसला
नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पीओके को लेकर गुरुवार को बड़ा बयान दिया। सेना प्रमुख ने कहा कि पीओके पर सरकार को फैसला करना है और सेना पूरी तरह से तैयार है। बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ दिनों पहले कहा था कि अब पाकिस्तान के साथ बातचीत उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर होगी। रक्षा मंत्री के इस बयान के बाद सेना प्रमुख ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तान इस मसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की असफल कोशिश कर रहा है लेकिन उसे हर जगह से नाकामी मिली है। पाकिस्तान लगातार युद्ध की धमकी दे रहा है लेकिन भारत की तरफ से अब तक संयम बरता गया है।
रक्षा मंत्री के बयान के बाद सेना प्रमुख रावत का पाकिस्तान को दिया गया यह बड़ा संदेश इस बात को दर्शाता है कि भारत अब अपनी नीति में बदलाव की ओर बढ़ रहा है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ किसी तरह की बातचीत आतंकवाद पर पूरी तरह रोक लगने के बाद होगी और यह बातचीत उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर होगी। भारतीय संसद 1994 में पारित अपने प्रस्ताव में कह चुकी है कि पाकिस्तान के साथ केवल पीओके पर विवाद है और इसे वापस लाना है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने दो दिन पहले कहा कि अब पीओके को भारत में मिलाना सरकार का अगला एजेंडा है। जाहिर है कि पीओके को लेकर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है और सरकार की इस मंशा और बदलती हुई रणनीति को सेना भी समझ रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'यह केवल मेरी या मेरी पार्टी की प्रतिबद्धता नहीं है बल्कि यह 1994 में पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सर्वसम्मति से पारित संकल्प है। यह एक स्वीकार्य रुख है।' सेना प्रमुख का यह बयान इसी कड़ी में आया है।
पाकिस्तान पिछले दशकों में कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा के जरिए भारत सरकार का ध्यान घाटी में उलझाकर रखा था लेकिन अब भारत सरकार पूरा फोकस कश्मीर से हटाकर पीओके पर करने के रास्ते पर आगे बढ़ चुकी है। पीओके के लोग भी पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं। हाल के वर्षों में पीओके में पाकिस्तानी फौज के अत्याचार के खिलाफ लोगों की आवाजें तेज हुई हैं। यही नहीं गिलगिट-बाल्टिस्तान के लोग भी पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त होना चाहते हैं। जेनेवा में जारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 42वें सत्र में गिलगिट बाल्टिस्तान के एक्टिविस्टों ने अपनी आजादी की आवाज बुलंद की है। एक्टिविस्टों ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को भारत का हिस्सा माना है।