मैदाने करबला में इबादत हुसैन हैं
सर दीन पे कटा के सलामत हुसैन हैं
इस्लाम की बक़ा की ज़मानत हुसैन हैं
इंसान को ख़ुदा की इनायत हुसैन हैं
ज़ुल्मो सितम पे सब्र की अज़्मत हुसैन हैं
हर वक़्त नानाजान की उम्मत की फ़िक्र थी
अल्लाह के नबी की विरासत हुसैन हैं
कलमा पढ़ा तो क्या हुआ बाग़ी हो दीन के
ईमाँ की सरहदों की हिफ़ाज़त हुसैन हैं
सहरा की रेत में भी वो पैकर थे अम्न के
जंगो जदल से एक बग़ावत हुसैन हैं
बुज़दिल था शिम्र पुश्त से खंजर चला दिया
ज़िन्दादिली की रिफ़अतो हुरमत हुसैन हैं
यादे नबी में महव तो ज़िक्रे ख़ुदा में गुम
मैदाने करबला में इबादत हुसैन हैं
आले नबी की शान पे सदक़े हज़ार बार
आले नबी की शानो सदाक़त हुसैन हैं
बौछार तीरों की हो के शिद्दत हो प्यास की
इक इंतिहा ए सब्रो रज़ायत हुसैन हैं
ज़ेहरा के लाल ही हैं नबूवत के पासबान
फ़रियादियों की एक समाअत हुसैन हैं
"प्रदीप" कायनात को जिससे ज़िया मिली
सीने पे वो फ़लक के इबारत हुसैन हैं
प्रदीप जैन (उर्दू स्कॉलर)