बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों पर कार्यशाला का आयोजन
पायसम, परमहँस योगानन्द सोसाइटी फ़ॉर स्पेशल उनफोल्डिंग एंड मौल्डिंग, "बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों हेतु शीघ्र हस्तक्षेप" से संबंधित कार्यशाला में आमंत्रित क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट श्रीमती दीप्ति कानाडे और डेवलपमेंटल बाल चिकित्सक, डॉ समीर दलवई ने लखनऊ के दिव्यांगता कार्यकर्ताओं तथा बाल चिकित्सकों से बातचीत की।
सुश्री कानाडे ने विज्ञानं नगरी ऑडिटोरियम में स्थित विशेष शिक्षकों, मनोविज्ञानियों तथा थेरेपिस्टों से अपने अनुभव एवम शोधकार्य पर आधारित डाटा द्वारा बताया कि हमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के शीघ्र हस्तक्षेप में सहज चरणों पर चलना उनके लिए सबसे सहायक होता है। उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि हम उनके परिवार वालों को उन पर काम करने में सशक्त कर सकें।
पहले माइलस्टोन पर काम ख़त्म कर दूसरे माइलस्टोन पर जाना बच्चों को सबसे अधिक सहायता करता है। कोई बच्चा दौड़ नहीं सकता है अगर वो चल नहीं सकता है। वो चल नहीं सकेगा अगर वो खड़ा नहीं हो सकता है। हर कदम की महारत हर अगली सफलता का आधार बनती है। वस्तुतः एक अच्छी योजना प्रत्येक कदम पर सफलता प्राप्त करने के लिए हमारे आक्रामक तथा धैर्यशील प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है।
मुंबई शहर में इस क्षेत्र में अद्वितीय कार्य में सफलता प्राप्त किये, डॉ समीर दलवई ने लखनऊ बाल चिकित्सकों की कार्यशाला में अपील करते हुए विशेष रूप से बौद्धिक अक्षमता के क्षेत्र का सामना करने और उससे दूर न भागने पर बल दिया। बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों के माता-पिता की दुविधाओं को दूर न करना नैतिक रूप से गलत होगा। इन बच्चों तथा बौद्धिक अक्षमता वाले लोगों के समाज में समावेशन में बाल चिकित्सकों का रोल बहुत महत्वपूर्ण है।
पायसम के साथ सहयोग करते हुए, डॉ दलव्ई ने लखनऊ के बाल रोग विशेषज्ञों, माता-पिता और विकलांगता कार्यकर्ताओं के साथ मुफ्त मासिक ऑनलाइन प्रशिक्षण और इंटरैक्टिव सत्र आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है ताकि उत्तर प्रदेश के विकलांग समुदाय की सेवा करने के लिए एक एकजुट वातावरण विकसित किया जा सके।
विशेष अतिथि एस आर ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स के चेयरमैन श्री पवन सिंह जी ने पायसम तथा डॉ दलवई के प्रयासों की सराहना करते हुए अपनी और से हर सम्बंधित सहायता तथा प्रयास करने का आश्वासन देकर वार्ता का समापन किया।