पीएम मोदी ने ISRO वैज्ञानिकों का बढ़ाया हौसला
बेंगलुरु: ‘चंद्रयान-2' के लैंडर ‘विक्रम' का बीती रात चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार की सुबह देश के नाम राष्ट्र को संबोधन करने के लिए इसरो सेटंर पहुंचे. यहां उन्होंने वैज्ञानिकों का न सिर्फ हौसला बढ़ाया बल्कि उन्होंने कहा कि मैं आपके साथ हूं और पूरा देश आपके साथ है. पीएम मोदी जब बेंगलुरु के स्पेस सेंटर से बाहर निकल रहे थे तो इसरो अध्यक्ष के सिवन को उन्होंने गले लगा लिया और इस दौरान काफी भावुक हो गए. पीएम मोदी ने इसरो अध्यक्ष को काफी समय तक गले लगाए रखा और उनका हौसला बढ़ाया. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबंधित घटनाक्रम के मद्देनजर आज सुबह आठ बजे राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ''आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए उसकी जय के लिए जीते हैं. आप वो लोग हैं जो मां भारती के जय के लिए जूझते हैं. आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए जज्बा रखते हैं. और इसलिए मां भारती का सिर ऊंचा हो इसके लिए पूरा जीवन खपा देते हैं. अपने सपनों को समाहित कर देते हैं.''
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''साथियों मैं कल रात को आपकी मनोस्थिति को समझता था. आपके आंखें बहुत कुछ कहती थीं. आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पाता था और इसलिए ज्यादा देर मैं आपके बीच नहीं रुका. कई रातों से आप सोए नहीं है फिर भी मेरा मन करता था कि एक बार सुबह फिर से आपको बुलाऊं आपसे बातें करूं. इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति एक अलग ही अवस्था में था. बहुत से सवाल थे और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते हैं और अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो जाए. मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है जब कम्युनिकेशन ऑफ आया और आप सब हिल गए थे. मैं देख रहा था उसे. मन में स्वाभाविक प्रश्न था क्यों हुआ कैसे हुआ. बहुत सी उम्मीदें थी. मैं देख रहा था कि आपको उसके बाद भी लगता था कि कुछ तो होगा. क्योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था. पल-पल आपने इसको बड़ी जिम्मेदारी बढ़ाया था. साथियों आज भले ही कुछ रुकावटे हाथ लगी हों, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है. बल्कि और मजबूत हुआ है.''
पीएम मोदी ने कहा, ''हम अपने रास्ते के आखिरी कदम पर रुकावट पर आई हो, लेकिन हम इससे अपने मंजिल के रास्ते से डिगे नहीं है. आज भले ही हम अपनी योजना से आज चांद पर नहीं जाए लेकिन किसी कवि को आज की घटना का लिखना होगा तो जरूर लिखेगा कि हमनें चांद का इतना रोमांटिक वर्णन किया है कि चंद्रयान के स्वभाव में भी वह आ गया. इसलिए आखिरी चरण में चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा. आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्छा शक्ति, संकल्प और प्रबल और भी मजबूत हुई है. बीते कुछ घंटे से पूरा देश जगा हुआ है. हम अपने वैज्ञानिकों के साथ खड़े हैं और रहेंगे. हम बहुत करीब थे लेकिन हमें आने वाले समय में और दूरी तय करना है. सभी भारतीय आज खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है. हमें अपने स्पेस प्रोग्राम और वैज्ञानिकों पर गर्व है.''