संघीय ढांचे पर खुलकर गंभीर चोट कर रही है मोदी सरकार: सुभाषिनी अली
“सविधान में संघवाद की अवधारणा और चुनौतियाँ” विषय पर जन विचार मंच की संगोष्ठी संपन्न
लखनऊ: वर्तमान सरकार लगातार योजनापूर्ण तरीके से संविधान में निहित संघीय ढांचे को लगातार कमजोर और खोखला करने की कोशिश कर रही है | वह सुनियोजित तरीके से केंद्रीयकृत ढांचे को मज़बूत करते हुए राज्यों के अधिकारों का हनन कर रही है| उक्त विचार पूर्व सांसद श्रीमती सुभाषिनी अली ने आज कैफ़ी आज़मी अकादमी सभागार, लखनऊ में जन विचार मंच, की संगोष्ठी “ सविधान में संघवाद की अवधारणा और चुनौतियाँ ” में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कही|
अपने विचार रखते हुए सुभाषिनी अली ने कहा कि यह पहले की सरकारों ने भी किया है लेकिन 1990 के बाद ज्यादा तेजी से हुआ है, वर्तमान सरकार तो खुलकर संघीय ढांचे पर गंभीर चोट कर रही है कश्मीर प्रकरण और धारा 370 इसी का उदहारण है | उन्होंने का की भारत एक देश है जिसकी अपनी विशेषता रही है इसी को बनाये रखने के लिए राज्यों के अधिकार भारत के संविधान में सुरक्षित रखे गए थे | लेकिन कश्मीर के मामले में विना राज्य की विधान सभा की राय लिए राज्य के ढांचे को हुए समाप्त करना संविधान की आत्मा पर चोट है | वास्तविकता यह की श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सरदार पटेल ने भी धारा 370 की खिलाफत नहीं की थी यह इतिहास में दर्ज है |
उन्होंने कहा की हकीक़त यह है की यह सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए साम्प्रदायिक एजेंडे पर काम कर रही है और आर एस एस की विचारधारा को थोपना चाहती है | उन्होंने याद दिलाया की पहले भी यह सरकार संघवाद को कमजोर करने के लिए योजना आयोग को ख़त्म करना, जी एस टी लागू करना, सूचना अधिकार कानून में परिवर्तन, शिक्षा आयोग के गठन का फैसला जैसे क़दम उठा चुकी है इससे राज्यों की ताकत कमजोर होती है और सत्ता केंद्रीयकृत हो रही है | यह आने वाले समय के लिए नुकसानदायक फैसले हैं जिससे देश आने वाले समय में गंभीर नुकसान देखेगा |
उन्होंने कहा की जो लोग विकास का नाम लेकर कश्मीर से जुड़े फैसले की बात कर रहे हैं वो यह भूल जाते हैं की वहां की विकास के हालत देश के कई राज्यों से अच्छे हैं यह सिर्फ बहानेबजी है कि वहां विकास होगा | उन्होंने विस्तार से कश्मीर का भारत में विलय की प्रक्रिया का उल्लेख करते कहा की वहां की जनता शेख अब्दुला के की कयादत में धर्मनिरपेक्ष भारत के साथ जिन शर्तों के जुड़ने का फैसला किया था वर्तमान सरकार का फैसला उसको तोड़ने वाला है
उन्होंने अपील की संविधान को कमजोर करने और संघीय ढांचे से छेडछाड को समझे और इसके खिलाफ आवाज़ उठायें
कार्यक्रम की शुरुआत में संचालक प्रोफ़ेसर नदीम हसनैन ने कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला संगोष्ठी में मंच के अशोक गर्ग, अंशु केडिया, नवाब उद्दीन सहित बड़ी संख्या में नगर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे |