सहारनपुर में क्या पाँचवी हार की ओर बढ़ रहा है क़ाज़ी परिवार ?
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ।लोकसभा चुनाव में 12 विधायकों के सांसद बन जाने की वजह से और एक सीट पर विधायक को सजा हो जाने के कारण 13 विधानसभाओ के यूपी में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है सबसे दिलचस्प चुनाव सहारनपुर की गंगोह विधानसभा पर देखने को मिलेगा क्योंकि वहाँ पर एक ऐसे परिवार के सियासी भविष्य का फ़ैसला होगा जो वहाँ की सियासत पर पिछले चालीस साल से राज कर रहा है वैसे तो 2012 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2014 ,2017 ,2019 , तक इस परिवार को लगातार हार ही हार का सामना करना पड़ रहा है हम बात कर रहे है क़ाज़ी परिवार की जब तक क़ाज़ी रशीद मसूद इस परिवार को कमांड करते थे तब तक इस परिवार का सहारनपुर की सियासत में बोलबाला रहा क़ाज़ी रशीद मसूद जातिगत से लेकर जनपद के बड़े घरानों को अपने साथ रखने का समीकरण बनाकर रखते थे इस रणनीति से उनका सियासी सिक्का चलता रहता था लेकिन जबसे उनके भतीजे इमरान मसूद का सियासत में अमल दखल शुरू हुआ तो क़ाज़ी रशीद मसूद के सभी साथी एक-एक कर साथ छोड भाग खड़े हुए और क़ाज़ी ख़ानदान का सहारनपुर की सियासत से पतन होना शुरू हो गया पतन होने की सबसे बडी वजह उनके भतीजे इमरान मसूद को माना जाता है क्योंकि उनके नाम पर हिन्दु वोट एकजुट होकर किसी ऐसे प्रत्याशी पर चला जाता है जो उसे हरा सकने में सक्षम हो जिसकी वजह से क़ाज़ी परिवार के इमरान मसूद चुनाव हार जाते है 2012 का विधानसभा का चुनाव नकुड सीट से वह 80 हज़ार वोट लेकर हारा फिर उसके बाद सहारनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े जो वह चार लाख आठ हज़ार वोट लेकर हारा उसके बाद 2017 का विधानसभा का चुनाव नकुड सीट से ही 90 हज़ार लेकर हारा उसके बाद सहारनपुर लोकसभा सीट से 2019 का चुनाव भी वह हारे लेकिन इस बार के चुनाव ने क़ाज़ी परिवार को आइना दिखाया और मुसलमान का 75 प्रतिशत वोट बसपा के साथ चला गया जिसकी वजह से बसपा ने यह सीट मोदी की भाजपा से छीन ली जो क़ाज़ी परिवार की वजह से जीतने में कामयाब होती आ रही थी इसकी वजह यह मानी जाती थी कि इस जनपद में हिन्दु वोट के बाद सबसे बडी तादाद मुसलमान की है उसके बाद दलित है 2019 के लोकसभा चुनाव में मुसलमान ने दलितों के साथ मिलकर लोकसभा सीट जीत ली थी और इमरान मसूद ने मुसलमान को काफ़ी बरगलाने की कोशिश की लेकिन मुसलमान यह बात समझ गया था कि इमरान की साथ जाकर मोदी की भाजपा को जिताना है इस लिए वह बडी तादाद में बसपा की तरफ़ रूख कर गया था जिसका परिणाम हाजी फजलुर्रहमान सहारनपुर लोकसभा से सांसद बनने में कामयाब रहे क़ाज़ी परिवार में जबसे इमरान मसूद का अमल दखल शुरू हुआ तब से जनपद सहारनपुर की सियासत का मिज़ाज भी बदल गया और मोदी की भाजपा मजबूत होती चली गई इमरान मसूद ये चाहते है कि इस जनपद में मेरे अलावा कोई नेता न रहे मैं रहू या मोदी की भाजपा जिसका भय दिखाकर मैं मुसलमानों के वोटो पर राज करता रहूँ जिसमें वह 2019 के चुनाव से पहले कामयाब भी रहे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में मुसलमान ने क़ाज़ी परिवार के इस महत्वकांक्षी चिराग़ को ऐसी धूल चटाई जिसकी वह कल्पना भी नही कर सकते थे चुनाव के दौरान वह कहते थे कि मुझे दो लाख हिन्दु वोट मिल रहा है जो परिणाम आने पर पता चला कि दो लाख तो बहुत बडी बात थी दो हज़ार भी नही मिला एक और बात कहते थे कि चुनाव मैं जीतूँगा नही तो मोदी की भाजपा के राघव लखनपाल जीतेगा दोनों ही बात गलत साबित हुई मतदान होने के बाद इमरान मसूद ने कहा कि अगर बसपा के हाजी फजलूर्रहमान चुनाव जीते तो मैं सियासत करना छोड दूँगा उन्हें मोदी की भाजपा की जीत पर इतना यक़ीन था लेकिन उनके सभी काल्पनिक दावे गलत साबित हुए। यही हाल अब गंगोह विधानसभा के उपचुनाव में होने जा रहा है क़ाज़ी परिवार के नोमान मसूद की हार को सियासी पंडित पक्की मान रहे है वैसे तो सियासी पंडित वहाँ मोदी की भाजपा के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित मान रहे जिसके नाम की घोषणा भी अभी नही हुई है।सपा ने चौधरी यशपाल के पुत्र चौधरी इन्द्रसैन को अपना प्रत्याशी बनाया है यही 2017 में भी सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बावजूद भी सपा से चुनाव लड़े थे जिन्हें चालीस हज़ार वोट मिले थे और कांग्रेस से भी नोमान मसूद ही प्रत्याशी थे जिन्हें साठ हज़ार वोट मिले थे। क़ाज़ी परिवार से अलग राह पकड मोदी की भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने वाले प्रदीप चौधरी 99 हज़ार वोट लेकर जीतने में कामयाब रहे थे प्रदीप चौधरी रशीद मसूद के सबसे ख़ास माने जाते थे क़ाज़ी रशीद मसूद का साथ छोड़ने के लिए इमरान मसूद व नोमान मसूद को वजह माना जाता है।क़ाज़ी परिवार के इमरान मसूद मुसलमानों को पुलिस का ख़ौफ़ दिखाकर डराते है कि मुसलमानों अपनी कयादत को मजबूत रखो चाहे हार जाओ अगर आपकी कयादत कमजोर हुई तो पुलिस आपके घरो में घुसकर मारेगी कितनी गंदी सोच है क्या सभी मुसलमान क्रिमनल है ? ज़्यादातर मुसलमान ऐसे है जिनकी कई नस्लें गुज़र गई लेकिन उन्होने पुलिस की शक्ल तक नही देखी होगी और इमरान मसूद स्वयंभू कयादत कहती है कि पुलिस घरो में घुसकर मारेगी वह ये नही कहते कि सहारनपुर की तरक़्क़ी के लिए रास्ते खोले जाएँगे स्कूल कालेज खोले जाएँगे रोज़गार के अवसर पैदा किए जाएँगे जिससे सभी लोगों फ़ायदा होगा हिन्दु-मुसलमान ख़ुशहाल होगा ये बात नही पुलिस की बात करते है ये हाल है स्वयंभू कयादत व उनकी सियासी समझ का। बड़े क़ाज़ी रशीद मसूद ने कभी हिन्दु-मुसलमान की सियासत नही की यही वजह रही कि सहारनपुर जनपद की सियासत पर चालीस साल राज किया अब क़ाज़ी रशीद मसूद बीमार भी रहने लगे है जिसकी वजह से वह ज़्यादा भागदौड़ नही कर सकते इमरान मसूद जैसे अपने आप तो खतम हो ही रहे है साथ ही परिवार के जलवे को भी खतम कर रहे है। क्या क़ाज़ी परिवार पाँचवी हार की और बढ़ रहा है यही सवाल जनपद की सियासी फ़िज़ाओं में तैर रहा है जिसका जवाब इसी महीने के अंत तक मिल जाएगा अगर मुसलमान ने समझदारी से वोटिंग की तो एक बार फिर मोदी की भाजपा को इस जनपद में कमजोर होते देखेंगे और अगर भटक गया तो मोदी की भाजपा की जीत को रोकना कठिन लगता है अब ये तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि मोदी की भाजपा की रणनीति कामयाब रहती है या विरोधियों की रणनीति कामयाब रहती है।