प्रदूषण की कीमत स्वास्थ्य और जीवन देकर चुकाएगी अगली पीढ़ी: प्रो. एके त्रिपाठी
लखनऊ: युवा वर्ग में वातावरण प्रदूषण और इसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता प्रसारित करने के लिए एमिटी स्कूल ऑफ़ एप्लाइड साइंसेज, एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ परिसर द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि, प्रोफेसर ए.के. त्रिपाठी, निदेशक राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने कहा कि, वर्तमान विश्व की सबसे गंभीर समस्या पर्यावरण प्रदूषण की है। तेजी से होते औद्योगिकीकरण और शहरीकरण ने पर्यावरण को अत्यंत प्रदूषित कर दिया है जिसका दुष्प्रभाव हमारी पारिस्थितिकी पर दिखाई देने लगा है। अगर हमें तुरंत ही इस समस्या का समाधान नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां इसके गंभीर नतीजे भुगतेंगी। पृथ्वी पर भयानक प्राकृतिक आपदाएं अपना घर बना लेंगी और इसकी कीमत हमें अपने स्वास्थ्य और जान देकर चुकानी होंगी।
वायु, जल और मृदा प्रदूषण के मुद्दे पर बात करते हुए उन्होने कहा कि, हमारे शरीर के भीतर भी सूक्ष्मजीवों का एक संसार है जिसके साथ हम जीवन जीते हैं। जल, वायु और मृदा प्रदूषित होने के कारण यह प्रदूषण हमारी खाद्य श्रंखला में पहुंच गया है जिसके नतीजे में हमारे शरीर के वो सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे है। शरीर की व्यवस्था बिगड़ने से कैंसर जैसी बीमारियां हमें चपेट में ले रही है। उन्होने कहा कि इससे बचने के लिए हमें गंभीर और त्वरित प्रयास करने की आवष्यकता है। खासतौर पर आटोमोबाइल क्षेत्र के प्रदूषण को खत्म करना, पृथ्वी के जैवविविधता को अक्ष्क्षुण रखना आदि कार्य तुरंत किए जाने की आवष्यकता है।
इसके पूर्व एमिटी विवि लखनऊ परिसर के प्रति कुलपति डा. सुनील धनेष्वर, डीन रिसर्च विज्ञान एवं तकनीकि, डा. कमर रहमान, विभागाघ्यक्ष एमिटी स्कूल आॅफ एप्लाइड साइंसेज, डा. असिता कुलश्रेष्ठ, मुख्य वक्ता, डीन एवं विभागाध्यक्ष, इंस्टीट्यूट आॅफ इन्र्वानमेंट एण्ड संसटेनेबल डेवलपमेंट बीएचयू, डा. कविता साह, इरास् लखनऊ मेडिकल कालेज के निदेषक चिकित्सा षिक्षा डा. राजेन्द्र प्रसाद, और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर, डा. सच्चिदानन्द त्रिपाठी ने दीप जलाकर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।
अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रति कुलपति ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा किसी एक अकेले की नहीं बल्कि यह सामूहिक जिममेदारी है। उन्होंने कहा कि आज विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के सात शहरों का नाम है। यह तस्वीर बदलनी चाहिए।
डा. कविता साह ने हैवी मेटल के प्रदूषण और उसके दुष्प्रभावों पर चर्चा करते हुए कहा कि, जिंक, आर्सेनिक, मर्करी और कैडमियम द्वारा सर्वाधिक खतरनाक प्रदूषण फैल रहा है। यह हैवी मेटल वातावरण में घुलकर फूड चेन में शामिल हो चुके है। उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण वाहनों में जल रहा डीजल और पेट्रोल है।